अविनाश श्रीवास्तव
पटना। बिहार में भ्रष्टाचारी, अपराधी और ड्यूटी के प्रति लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। दरअसल नीतीश सरकार ने 6 महीना पुराने एक बड़े फैसले पर "यू टर्न" ले लिया है। अब वैसे पुलिसवालों को भी थानेदारी दी जाएगी जो भ्रष्टाचारी, अपराधी और ड्यूटी के प्रति लापरवाही बरतने वाले हैं। बिहार गृह विभाग की ओर से जारी नए आदेश के मुताबिक वैसे दारोगा या इंस्पेक्टर जिन्हें 3 या उससे अधिक वृहद सजा मिली हो उन्हें थानाध्यक्ष या सर्किल इंस्पेक्टर बनाया जा सकता है। अगर इन्हें किसी मामले में सजा मिली है और इन्होंने सजा की अवधि पूरी कर ली है तो इन्हें थानाध्यक्ष या अंचल पुलिस निरीक्षक बनाया जा सकता है। आदेश में कहा गया है कि सजा का कुप्रभाव समाप्त होने के बाद उन्हें थानाध्यक्ष अथवा अंचल पुलिस निरीक्षक के पद पर पदस्थापन हेतु योग्य माना जाएगा, बशर्ते इस कंडिका की अन्य अहर्ता उन पर लागू ना हो। जून महीने में नीतीश सरकार ने यह फैसला लिया था कि जिन्हें तीन ब्लैक मार्का मिला हो उन्हें थानाध्यक्ष और सर्किल इंस्पेक्टर नहीं बनाया जाएगा। सरकार के इस बड़े निर्णय से पहले ही पुलिस हेडक्वार्टर ने 300 थानेदारों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया था और उन्हें हटा दिया गया था। क्योंकि हटाए गए सभी थानेदार दागदार थे।
बिहार सरकार के उस आदेश का सबसे बड़ा असर 1994 बैच के पुलिस अधिकारी जो इंस्पेक्टर बन गए थे, उन पर हुआ था। 80 परसेंट अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई लंबित है या फिर उनके खिलाफ ब्लैक मार्क लगा था। तब बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के सख्त आदेश के बाद जुलाई से ही दागदार छवि वाले इंस्पेक्टरों और थानाध्यक्षों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दिए थे।
उस समय आरा, बक्सर, सासाराम में दागदार छवि वाले थानाध्यक्षों को हटा दिया गया था। सासाराम जिले में 1994 बैच वाले अफसर जो इंस्पेक्टर के रूप में तैनात थे, वैसे 12 अफसरों को हटा दिया गया था। ये वैसे अफसर थे, जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई लंबित है या फिर ब्लैक मार्क लगा था। भोजपुर से भी 1994 बैच वालों का पत्ता साफ हो गया था। बता दें कि बिहार में 1075 थाने और 225 ओपी हैं। अन्य जिलों में इसी तरह की कार्रवाई की गई थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.