विनय कुमार श्रीवास्तव
सोनभद्र। जिला कृषि रक्षा अधिकारी, सोनभद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में तापमान मेें तेजी से गिरावट के कारण वातावरण में आर्द्रता बढ़ गई है। जिससे गेंहूं की फसल में पीली गेरूई। आलू की फसल में अगेती एवं पछेती झुलसा, चना, मसूर एवं मटर में सेमीलुपर, फली बेधक,पत्ती धब्बा रोग के साथ-साथ राई/सरसों में माहू/लीफमाइनर तथा तुलासिता एवं अल्रनेरिया, पत्ती धब्बा के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि पीली गेरूई रोग के प्रकोप का लक्षण प्रायः पत्तियों पर पीले पाउडर की धारियोें के रूप में दिखाई देते हैं इस रोग के लक्षण मुख्यतः ऊपरी पत्तियों तथा अत्यधिक प्रकोप की दशा में तने पर भी इसके धब्बे दिखाई देते हैं। पीली धारियाॅ पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधक बनते हैं। जिसके कारण उत्पादन प्रभावित होता है। प्रकोप की दशा में प्रोपिकोनाजोल 25प्रतिशत ई0सी0 की 500 मिली मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। राई/सरसो – माहू एवं लीफमाइनर पत्ती संरंगक- से बचाव के लिए जैव कीटनाशी एजाडीरैक्टिन 0.15 प्रतिशत ई0सी0 2.5 लीटर अथवा रसायनिक कीटनाशी डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0सी0 अथवा आक्सीडिमेटान मिथाइल 25प्रतिशत ई0सी0 1.0 लीटर मात्रा को प्रति हे0 की दर से लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। तुलासिता एवं अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा- इस रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्ू0 पी0 अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की दो किलो ग्राम मात्रा प्रति हे0 की दर से 600-700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। चना/मटर/मसूर-सेमी लूपर- 50-60 वर्ड पर्चर प्रति हे0 की दर से लगाना चाहिए जिस पर चिड़ियाॅ बैठकर सूडियों को खा सके। इस कीट के जैविक नियंत्रण के लिए बैसिलस थ्यूरिजिनेसिस बी0टी0 एक किलो ग्राम अथवा एजाडीरैक्टिन 0.15 प्रतिशत ई0सी0 2.5 लीटर लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए मैथियान 50 प्रतिशत दो लीटर की मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छि़ड़काव करना चाहिए। फली भेदक कीट – एनपीवी (एच0) 250 एल0ई0 प्रति हे0 की दर से लगभग 250-300 लीटर पानी में घोलकर सायंकाल छिड़काव करें। बैसिलस थ्यूरिजियेनसिस बीटी एक किलो ग्राम को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करना चाहिए। एस्कोकाइटा ब्लाइट (पत्ती धब्बा रोग) – चने की फसल में इस रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0-2.0 किलोग्राम अथवा कापरआॅक्सी क्लोराइड 50प्रतिशत डब्लू0पी0 2.5 किलोग्राम मात्रा प्रति हे0 की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। आलू- आलू की फसल में अगेती/पछेती झुलसा रोग का प्रकोप होने पर पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं तथा तिव्र प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा झुलस जाता है रोग के प्रकोप की स्थिति में रसायनों में से किसी एक को प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। कापरआक्सी क्लोराइड 50प्रतिशत डब्लू0पी0-2.5 किलोग्राम। मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0-2.0 किलोग्राम। जिनेब 75प्रतिशत डब्लू0पी0-2.0 किलोग्राम। उक्त जानकारी सूचना विभाग के नेसार अहमद ने दी।
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