अतुल त्यागी, मुकेश सैनी
हापुड़। जनपद में रविवार को कृषि कानून पर परिचर्चा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केसी त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून लाया गया। उस पर ना तो संसद में चर्चा की गई और ना ही किसान संगठनों से इस बारे में बात की गई और ना ही उस पर अपने सहयोगी दलों से किसी भी प्रकार की चर्चा की गई। रविवार जो किसान सड़कों पर हैं। यह उसी का नतीजा है। यदि संसद में इस पर चर्चा की जाती तो शायद ऐसा ना होता। पिछले 4 साल से गन्ने का एक ही रेट है जबकि बिजली व कीटनाशकों के रेट अत्याधिक बड़ गए हैं। 1975 में 1 किलो गेहूं में आ जाता था 1 लीटर डीजल लेकिन रविवार को 1 लीटर डीजल के दाम में आता है। 4 किलो गेहूं किसानों के उत्पादकों ने मात्र 19 परसेंट की बढ़त हुई है। लेकिन अध्यापक व अन्य नौकरी करने वालों की सैलरी में 90% की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कि जा रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानो ने राकेश टिकेत को समर्थन देकर किसानों की इज्जत बचाई किसान बिलो का विरोध करे और गाजीपुर जाकर किसानों के हित की लड़ाई लड़े किसी भी प्रकार की अराजकता न फैलाएं और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें। यदि प्रधानमंत्री अपनी तरफ से पहल करें तो उन की बात का मान करे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तब तक करना चाहिए। जब तक कि किसानों को मूल्य निर्धारण का अधिकार ना मिल जाये। इस अवसर पर कृपाल सिंह, मदन प्रकाश सैनी, मुकेश सैनी ,चौधरी शीशपाल सिंह, एडवोकेट मुकुल त्यागी सहित अन्य भक्तों ने भी अपने विचार रखे।
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