आरएसएस वही बात कहकर देशभक्त है और किसान वही बात कहें तो खालिस्तानी?
हरिओम उपाध्याय
नई दिल्ली। आरएसएस के अपने दो बड़े संगठन हैं। एक भारतीय किसान संघ और दूसरा स्वदेशी जागरण मंच। ये अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा तो नहीं खोल सकते, लेकिन कह तो वही रहे हैं। जो आंदोलनकारी किसान कह रहे हैं।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने बीबीसी से कहा ये तीनों क़ानून जब अध्यादेश के रूप में 5 जून को आए थे। तो हमने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी।.25 हज़ार गाँवों से हमारे किसान भाइयों ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लिखित में शिकायत की है।
''ये तीनों बिल व्यापारियों के बिल हैं। सरकार का कहना है। कि व्यापारियों का अच्छा व्यापार चलेगा तो किसानों को फ़ायदा होगा. 90 के दशक से भारतीय किसान संघ किसानों के लिए 'एक देश एक मार्केट' की बात कर रही है. सरकार उसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए ये बिल लाई है। तो हम उसका स्वागत करते हैं। पर इस बिल में कई दिक़्क़तें हैं।
गौर कीजिए कि आरएसएस का अपना संगठन भी कह रहा है। कि ये तीनों बिल व्यापारियों के बिल हैं। स्वदेशी जागरण मंच भी कह रहा है। कि बिल में दिक्कत है।
ये दोनों संगठन एमएसपी की लिखित गारण्टी की बात कह रहे हैं। खरीद-बिक्री में किसानों को और सुरक्षा देने की बात कह रहे हैं। ये भी ये डर जता रहे हैं। कि व्यापारी मनमानी करेंगे। न्यायालय जाने के अधिकार की बात ये भी कर रहे हैं। फसल की सही कीमत की बात ये भी कर रहे हैं। यही सारी मांग किसानों की भी है।
तो क्या आरएसएस के ये दोनों संगठन खालिस्तानियों से मिल गए हैं।
आरएसएस वही बात कहकर देशभक्त है।और किसान वही बात कहें तो खालिस्तानी। क्योंकि उन किसानों में से कुछ के सिर पर पगड़ी है। और वे सिख हैं।ठीक वैसे जैसे मुसलमान आंदोलन करें तो वे पाकिस्तानी हो जाते हैं।
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