अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद/मुरादनगर। मुरादनगर में 3 जनवरी को श्मशान घाट का लैंटर गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। अब उस स्थान पर चारों ओर मलबे के ढेर लगे हुए हैं। ये मलबा उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का ऐसा स्मारक बन गया है। जिसे ना कोई देखना चाहता है और न इसके बारे में बात करना चाहता है। ठेकेदार और कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद सरकारी विभागों में शांति है। भ्रष्टाचार पर सवाल उठाते ही जिला प्रशासन और अन्य विभाग के अधिकारियों का वही रटा रटाया जवाब मिलता है कि इस मामले में एसआइटी की जांच जारी है। रिपोर्ट आने के बाद ही हम कुछ कहने की स्थिति में होंगे। वहीं मुरादनगर नगर पालिका के मनोनीत सदस्य महंत विजयपाल हितकारी कहते हैं कि उन्होंने अक्टूबर में इस बात की शिकायत की थी कि श्मशान घाट के लैंटर को बनाने में घटिया सामान का इस्तेमाल किया जा रहा है। वे बताते हैं। जब निर्माण चल रहा था तो मैं श्मशान घाट गया था। वहां कच्ची पीली ईंटें पड़ी हुई थीं। मसाले में दस परात रेत में एक परात सीमेंट मिलाया जा रहा था। मैंने तुरंत जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दी थी। नगर पालिका में भी इसकी शिकायत की। लेकिन भ्रष्टाचारी ठेकेदार और इंजीनियरों की साठ-गांठ इतनी गहरी थी कि मेरी शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई।
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