अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज का पावन प्रकाश उत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बिलासपुर स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा दयालबंद में विशेष दीवान सजाया गया है। इस शुभ अवसर पर हजूरी रागी जत्था भाई सुरेंद्र सिंह ,भाई नछत्तर सिंह, दरबार साहिब अमृतसर से बिलासपुर पहुंचे हैं। जिनका साथ भाई गुरनाम सिंह हजूरी जत्था गुरुद्वारा दयालबंद भाई मान सिंह हेड ग्रंथि दे रहे हैं। जिनके द्वारा यहां विशेष शबद कीर्तन की प्रस्तुति दी गई । प्रातः 8:30 से 11:30 तक कथा कीर्तन का आयोजन किया गया। अभी भी कोरोना का संक्रमण खत्म नहीं हुआ है इसलिए गाइडलाइन का पालन करते हुए पर्याप्त दूरी और मास्क पहनकर साध संगत इस आयोजन में शामिल हुए। गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद 11 नवंबर सन 1675 को गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु बने थे। वह एक महान योद्धा, कवि ,भक्तएवं आध्यात्मिक नेता थे। 1699 में बैसाखी के दिन ही उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 5 जनवरी 1666 को पटना सिटी में उनका जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम गोविंद राय था। गुरु गोविंद सिंह ने ही पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया था और श्री गुरु ग्रंथ साहिब को सिक्खों के गुरु के रूप में सुशोभित भी किया। अपने जीवन काल में उन्होंने मुगलों और मुस्लिम शासकों से 14 से अधिक युद्ध किए। धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने अपने पूरे परिवार का बलिदान भी दे दिया। श्री गुरू गोविंद सिंह जी को कलगीधर दशमेश बाजा वाले आदि कई नामों से भी पुकारा जाता है। लोग उन्हें संत सिपाही भी कहते हैं। ऐसे महान गुरु के पावन प्रकाश पर्व पर बिलासपुर दयालबंद गुरुद्वारा में विशेष दीवान सजाकर प्रकाश किया गया। तत्पश्चात हजूरी रागी जत्थे ने शबद कीर्तन से साध संगत को निहाल किया। बड़ी संख्या में गुरुद्वारे पहुंचे संगत ने गुरु घर की खुशियां प्राप्त की, तो वही अरदास कर विश्व कल्याण की कामना की गई। इस अवसर पर यहां कड़ा प्रसाद वितरण किया गया। कोरोना गाइडलाइन के मद्देनजर यहां सार्वजनिक लंगर के स्थान पर 2500 फूड पैकेट का वितरण साध संगत के बीच किया गया, तो वहीं शाम को भी कीर्तन दरबार सजाया जा रहा है।
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