अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीईई) का कहना है कि भारत में बिकने वाले शहद के सभी प्रमुख ब्रांड भारी मात्रा में ऐसे तत्वों की मिलावट कर रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। संस्था का कहना है कि शहद के 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है। यह शुगर सिरप चीन से आयात किया जा रहा है और भारत के जांच मानकों में आसानी से पकड़ में नहीं आती।
संस्था का दावा है कि उनके द्वारा किए गए प्रमुख शहद उत्पादकों के माल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनएमआर) के परीक्षण में 13 ब्रांड में सिर्फ 3 ब्रांड ही पास हुए।सीएसई कि महानिदेशक सुनीता नारायण का कहना है कि कोविड-19 संकट के वक्त यह खाद्य धोखाधड़ी जनता की सेहत के साथ खिलवाड़’ है। ‘भारतीय इस वक्त ज्यादा शहद का सेवन कर रहे हैं, क्योंकि उनका विश्वास है कि शहद में एंटीमाइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के साथ-साथ प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) को बनाने की क्षमता है और यह विषाणुओं को बेअसर करने में बहुत कारगर है। लेकिन हकीकत यह है कि यदि शहद मिलावटी है तो हम केवल चीनी का ऐसा घोल खा रहे हैं, जो मोटापा और अत्यधिक वजन की चुनौती को बढ़ाता है और जो अंततः हमें गंभीर कोविड-19 संक्रमण के जोखिम की ओर ले जाता है।
सुनीता नारायण ने शहद में मिलावट के भंडाफोड़ और अध्ययन को लेकर कहा, ‘हम इस समय जानलेवा कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है, ऐसे कठिन समय में हमारे आहार में चीनी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल (ओवरयूज) हालात को और भयावह बना देगा।’
13 में से 10 ब्रांड परीक्षण में फेल
द प्रिंट में छपी खबर के अनुसार सीएसई का दावा है कि उनके द्वारा कराए गए परीक्षण में 13 भारतीय ब्रांड्स में से सिर्फ 3 – सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर ही सभी परीक्षणों में पास पाए गए। शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए।
दरअसल सीएसई ने भारतीय बाजार के 13 विख्यात ब्रांडों की शहद को गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) में स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (सीएएलएफ) में जांच के लिए भेजा। लगभग सभी शीर्ष ब्रांड (एपिस हिमालय छोड़कर) शुद्धता के परीक्षण में पास हो गए, जबकि कुछ छोटे ब्रांड इस परीक्षण में फेल हुए, उनमें सी3 और सी4 शुगर पाया गया, यह शुगर चावल और गन्ने के हैं।
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