सूर्य और बुध ग्रह से निर्धातिर होता है बुधादित्य योग, यह योग अच्छा भी होता है और खराब भी होता है
सूर्य ग्रहों का राजा, केंद्र बिंदु हैं। बुध उसके सबसे समीप का ग्रह। सूर्य की तरफ से गरम, दूसरी तरफ ठंडा। मतलब सूर्य से निरंतर तेज़ लेता रहता। दोनो मिल के बुधादित्य योग बनाते है जो कि ज्ञान के लिए बेस्ट। बुध विद्या, ग्रहण करने की क्षमता, सरस्वती बुद्धि, तांत्रिक तन्त्र, आन्तड़िया, व्यापर, वाणी आदि आदि। मन बुद्धि के वश में ओर बुद्धि आत्मा के वश में। मतलब सूर्य बुध की युति शुभ की हो तो कितना सुंदर योग बन जाये। भृकुटि के मध्य ध्यान लग जाये। बुध तो सूर्य के 28 डिग्री आगे पीछे घूमता रहता फिर काहे का अस्त का दोष।
सूर्य बुध दोनो मिल के चार चांद लगा दे। यही योग बिगड़ा हुआ हो तो बुद्धि भृष्ट कर दे मतलब एक अशुभ स्थान का स्वामी हो तो। सूर्य सब ग्रहों का दोष हर ले और बुध राहु का दोष हर ले फिर बचा का शुभ युति व्यापार में ऊंचाईयों तक पहुंचा दी। धन भी तो बुद्ध है। वाणी भी तो बुद्ध है। दोनो दिमाग के भी तो कारक है। इसी लिए तो कहते है। बुध में सूर्य के भी गुण निहित है। बस शर्त यह है। कि अशुभ युति नही होनी चाहिए। अब वो हमारे कर्मो पे करता है।
वाणी भी आत्म विश्वास से भरपूर रहेगी। सूर्य आत्मा। राजकीय। पिता। ऊर्जा। आत्म विश्वास आदि। दोनो साथ मिल जाये तो मजा आ जाये। युति तो हर किसी की कुंडली मे मिल जाएगी लेकिन अपने कर्मो से निर्धारित होगी कि अछि है। कि बुरी। बुध चंचल ग्रह है। छोटा बच्चा। अब पिता ही तो उसको कन्ट्रोल करता है। इसी लिए तो इसे पिता सूर्य के पास स्थान दिया गया है। ताकि कन्ट्रोल में रहे।
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