मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

गाजियाबाद: विकलांग काट रहे चक्कर, डॉक्टर गायब

अश्वनी उपाध्याय  

गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण के चलते दिव्यांग जनों  को प्रमाण पत्र बनवाने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लगभग छह महीने तक प्रमाण पत्र बनाने का कार्य जिले में बंद रहने के बाद अब फिर से शुरू किया गया है, लेकिन डॉक्टर्स की लेट लतीफी के कारण आवेदकों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। सोमवार को केवल आर्थोपेडिक सर्जन ही शिविर में मौजूद रहे। जिले में विकलांग प्रमाण पत्र के लिए गठित किया गया बोर्ड पूर्व में संयुक्त अस्पताल में बैठता था। कोरोना संक्रमण काल के दौरानसंयुक्त अस्पताल में एल-2 अस्पताल बना दिया गया ,जिसके चलते जिला एमएमजी अस्पताल में बोर्ड के बैठने की व्यवस्था की गई है।

मार्च में लॉकडाउन डाउन लगने के बाद बोर्ड भंग कर दिया गया था। नवंबर में शासन से निर्देश मिलने के बाद दोबारा से बोर्ड का गठन किया गया और जिला एमएमजी अस्पताल प्रत्येक सोमवार को विक्लांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए शिविर लगाने के निर्देश दिए गए। जिला विकलांग बोर्ड में चार डॉक्टर्स को शामिल किया गया है। इनमें हड्डी रोग विशेषज्ञ, फिजिशियन, ईएनटी और मानसिक रोग विशेषज्ञ को शामिल किया गया है।

सोमवार को शिविर लगने के चलते जिला एमएमजी अस्पताल में खासी भीड़ जमा हो गई थी। दोपहर में डेढ़ बजे से बोर्ड में शामिल डॉक्टर्स आवेदकों की जांच करते हैं, लेकिन सोमवार को तीन बजे तक भी बोर्ड का कोई डॉक्टर शिविर में नहीं पहुंचा था। जिसके चलते सैकड़ों आवेदकों को घंटों इंतजार करना पड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी मूक और बधिर लोगों को उठानी पड़ी।

शिविर में डॉक्टर से जांच करवाने के बाद उन्हें एक और जांच करवानी होती है जो मेरठ में होती है। उसके बाद उन्हें फिर से शिविर में आना होता, जिसके बाद उनका प्रमाणपत्र बन पाता है। आर्थोपेडिक सर्जन सोमवार को ऑपरेशन कर रहे थे, जिसके बाद लगभग तीन बजे शिविर में पहुंच सके। बोर्ड के अन्य डॉक्टर्स शिविर में पहुंचे ही नहीं। एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. अनुराग भार्गव ने बताया कि बोर्ड में शामिल सभी डॉक्टर्स ओपीडी और ओटी भी करते हैं। ओपीडी और ओटी के बाद ही डॉक्टर्स विकलांग शिविर में पहुंच पाते हैं।

आवेदक झेल रहे हैं तमाम परेशानी

विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने वालों की परेशानी सुनने वाला कोई नहीं हैं। लोनी की रहने वाली नेहा का कहना है कि सप्ताह में एक ही दिन शिविर लगता है और उस दिन भी डॉक्टर्स समय से नहीं आते। कई बार तो लोगों को बिना जांच के लौटना पड़ता है। इससे खासी परेशानी होती है। मोदीनगर के रहने वाले सुरेश का कहना है कि मेरे एक हाथ की तीन उंगलियां हादसे में कट गई थीं, अब मुझे विकलांग प्रमाण पत्र की जरूरत है। लॉक डाउन के बाद अब शिविर लगना शुरू हुआ है। हम सुबह से आए हुए हैं, लेकिन डॉक्टर्स के नहीं आने से अब दोबारा आना होगा।

जबकि मसूरी की रहने वाली आरती बताती है कि मेरे कानों में परेशानी है और मैं दूसरी बार शिविर में आई हूं। पिछले हफ्ते डॉक्टर के नहीं आने के चलते चेकअप नहीं हो सका था। इस बार भी डॉक्टर नहीं आए। विभाग को इसके लिए कोई बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए।

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