अकाशुं उपाध्याय
नई दिल्ली। ‘हाय रे महंगाई डायन खाय जात है’। सखी सईयां तो खूबय कमात है पर महंगाई डायन खाय जात है… किसी ने क्या खूब लिखा है। शायद एक आम आदमी के दर्द को नजदीक से देखा होगा। लिखने वाले ने देश और दुनिया जहां कोरोना रूपी महाकाल के गाल में चला गया। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जिससे आम देशवासियों की स्थिति बद्त्तर हो चुकी है। वहीं केन्द्र सरकार द्वारा मारे जाने वाले आर्थिक थपेड़े के दर्द से देश कराहने लगा है। राजनीतिक गलियारों में लगातार महंगाई को लेकर चर्चा तेज होती जा रही है कि कहीं देश में अब मोदी सरकार का राज नजर नहीं आ रहा है। अब तो देश में एक मात्र उद्योगपतियों का राज साफ नजर आ रहा है।
चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र'
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