शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

दंगा आरोपी 4 भाजपा विधायकों के केस वापस होंगे

भाजपा नेताओं पर सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने, सरकारी मशीनरी में हस्तक्षेप करने और आगजनी में शामिल होने का भी आरोप है।

नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर। सरकारी वकील राजीव शर्मा ने मिडिया को बताया कि संबंधित कोर्ट में इस मामले को वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया है और यह केस अभी लंबित है। 27 अगस्त 2013 के दिन कवाल गांव में दो युवकों की हत्या को लेकर कार्रवाई के लिए नगला मंडोर गांव के एक इंटर कॉलेज में सात सितंबर 2013 को जाट समुदाय के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी।

मालूम हो कि एक मुस्लिम युवक शाहनवाज कुरैशी की हत्या के बाद मुस्लिम भीड़ ने सचिन और गौरव नाम के युवकों की हत्या कर दी थी। महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमले के बाद हिंसा भड़क गई थी. ये हिंसा मुजफ्फरनगर के अलावा इसके नजदीकी जिलों में भी फैल गई। इस दौरान 65 लोगों की मौत हो गई और लगभग 40,000 लोगों को पलायन करना पड़ा। इस केस में कुल 510 आपराधिक मामले दायर किए गए और 175 मामले में चार्जशीट दायर की गई। बाकी के केस में या तो पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी या केस बंद कर दिया। महापंचायत से जुड़े मामले को शिखेड़ा पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ चरण सिंह यादव द्वारा सात सितंबर 2013 को दायर किया गया था। संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव, साध्वी प्राची और पूर्व सांसद हरेंद्र सिंह मलिक समेत 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और भड़काऊ भाषण देने जैसे कई आरोप लगाए गए।

आरोपियों के खिलाफ आईपीसी धारा 188 (घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी जमावड़ा), 353 (सरकारी कर्मचारी को डराने के लिए हमला), 153ए (धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना), 341 (गलत अवरोध पैदा करना), 435 (नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल) के तहत मामला दर्ज किया गया था। राज्य सरकार की एसआईटी ने 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिसमें संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव, साध्वी प्राची और हरेंद्र सिंह मलिक शामिल हैं।

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