योगीराज में अधिकारियों की गजब की है कानून व्यवस्था
सहायक कलेक्टर द्वारा नीलाम कर बिक्रय प्रमाण पत्र जारी की गई भूमि पर भूस्वामी के कब्जे पर अराजकतत्वों का व्यवधान
फर्जी शिकायती पत्र लेकर पहुंचने वाले असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार करने के बजाए जांच कराने का आदेश दे रहे अधिकारी
कौशांबी। योगीराज में अधिकारियों की गजब की न्याय ब्यवस्था है। जिस जमीन को तत्कालीन सहायक कलेक्टर आईएएस ने खुद नीलाम कर मानिक चन्द्र के हाथ बिक्रय कर उनसे धन अर्जित कर सरकारी खजाने में जमा कर क्रेता भूस्वामी मानिक चन्द्र को विक्रय प्रमाण पत्र दिया था। सहायक कलेक्टर द्वारा विक्रय प्रमाण पत्र मिलने के बाद उस भूमि पर उस समय काबिज होने के बाद वर्तमान के निर्माण पर अराजकतत्वों के तमाम तरह के व्यवधान से खरीददार को वर्तमान में गुजारना पड़ रहा है। जिस जमीन को तत्कालीन सहायक कलेक्टर ने बेचा है। उसी जमीन पर खरीददार के कब्जे पर असामाजिक तत्वों द्वारा शिकायती पत्र देकर अवरोध डालने का प्रयास किया जा रहा है। आखिर असामाजिक तत्वों को शिकायती पत्र के साथ गिरफ्तार कर अब तक अधिकारियों ने जेल क्यों नहीं भेजा है। यह बड़ा सवाल है। गौरतलब है कि चायल तहसील क्षेत्र के काजू गांव निवासी इंद्र नारायण पुत्र महावीर राजकीय देय सिंचाई कर के बकायेदार थे जिस पर राजकीय देय की वसूली के लिए उनकी अचल संपत्ति को कुर्क करके 22-10- 1990 को न्यायालय परगना अधिकारी सहायक कलेक्टर चायल इलाहाबाद ने सार्वजानिक तरीके से नीलाम किया था। इस नीलामी में मानिक चंद्र पुत्र राम प्रसाद निवासी काजू को सहायक कलेक्टर आईएएस द्वारा खुद क्रेता घोषित किया गया इस नीलामी की पुष्टि तत्कालीन आईएएस जीवेश नंदन परगना अधिकारी सहायक कलेक्टर चायल द्वारा 22 दिसम्बर 1990 को भूमि व्यवस्था नियमावली के अंतर्गत विक्रय प्रमाण पत्र जारी कर की गई थी यह संपत्ति काजू ग्राम सभा में आराजी नंबर 470 रकबा 8 बिस्वा 10 धूर का आधा हिस्सा मानिक चंद्र पुत्र राम प्रसाद के नाम विक्रय कर क्रेता को पूर्ण स्वामित्व दिया गया है और अभिलेखों में क्रेता का नाम दर्ज कराया गया है। मानिकचंद और उनके पुत्रों का इस जमीन पर पूर्ण कब्जा है। कुछ हिस्से में भवन बने हैं कुछ हिस्से खाली पड़े है। तीन दिन पहले मानिकचंद के पुत्र उमेश केसरवानी दिवाकर केसरवानी आदि ने इसी ज़मीन के खाली पड़े हिस्से पर भवन निर्माण शुरू कर दिया तो गांव के असामाजिक तत्व शेरे पुस्ती गुंडई से निर्माण पर व्यवधान उत्पन्न शुरू कर दिया। निर्माण पर व्यवधान उत्पन्न करने वालों में थाने के मंदिर का एक पुजारी भी शामिल है। इलाके में किसी के भी निर्माण पर व्यवधान डाल कर उन्हें प्रताड़ित कर धना दोहन इनका पेशा बन चुका है और अपने इसी आदतन के अनुसार दर्जनों लोग एकत्रित होकर सहायक कलेक्टर द्वारा बेची गई जमीन पर वास्तविक भूस्वामी के निर्माण को रोक दिया। अब योगी सरकार के अधिकारियों की न्याय व्यवस्था इस कदर लचर है कि वास्तविक मालिक को काबिज करा कर अराजक तत्वों की गिरफ्तारी करा कर उन्हें जेल भेजने का साहस करने के बजाय अराजक तत्वों के शिकायती पत्रों पर जांच करा कर कार्यवाही का आश्वासन देकर उनका हौसला बढ़ा दिया गया है। पूर्व के इतिहास बताते हैं कि असामाजिक तत्व बेवजह जमीनी विवाद उत्पन्न कर लोगों को प्रताड़ित कर धना दोहन करने के आदी है। सहायक कलेक्टर से सरकारी जमीन खरीदने वाले भूस्वामी के पुत्र योगीराज में न्याय के लिए दर दर भटक रहे है। उप जिला अधिकारी चायल कार्यालय से लेकर पुलिस अधीक्षक तक को शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है लेकिन अभी तक योगीराज में उन्हें न्याय नहीं मिल सका इसके पूर्व भी अराजक तत्वों द्वारा उक्त जमीन पर ब्यवधान डालने का प्रयास किया गया था। जिस पर तत्कालीन अधिकारियों ने अराजक तत्वों के मंसूबे पर पानी फेर दिया था अब सवाल उठता है कि सहायक कलेक्टर द्वारा बेची गई भूमि पर योगीराज में जमीन के असली मालिक मानिकचंद के पुत्र उमेश केसरवानी दिवाकर केसरवानी आदि काबिज हो पाते हैं या फिर जांच और कार्यवाही के नाम पर अराजक तत्व अत्याचार अन्याय करने में सफल होंगे यह बड़ा सवाल है।
सुशील केसरवानी
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