नैनीताल: विदेशी मीडिया में छाया नैनीताल का यह इलाका, देश का बना पहला मास गार्डन, जानिए खासियत
नैनीताल। उत्तराखंड का नैनीताल जिला देश का पहला ऐसा इलाका बनने जा रहा है। जहां सबसे बड़ा मॉस गार्डन बनाया जा रहा है। यह उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है। एक जानकारी के मुताबिक पूरे विश्व मे मॉस की करीब 26000 प्रजातियां पायी जाती हैं, लेकिन नैनीताल जिले के खुर्पाताल में 10 हेक्टेयर ज़मीन में बनाये जा रहे इस मॉस गार्डन में 50 से अधिक स्थानीय प्रजातियों को संरक्षित करने का काम किया जा रहा है। जैसे ही यह गार्डन बनकर तैयार हो जाएगा यहां शोधार्थी अपना शोध भी पूरा कर सकेंगे,मॉस का उपयोग बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक बनाने में होता है, इसके अलावा मॉस की अधिकतर प्रजातियां एन्टी फंगल भी होती हैं, ज़मीन में नमी बनाए रखना वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण को दूर करने में मॉस का बड़ा योगदान है।
बॉलीवुड के मशहूर गायक सोनू निगम इन दिनों उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में, जानिए क्या कर रहे है। जानकारी: सन 1917 में जो पहला विश्व युद्ध हुआ उसमे जर्मनी सरकार ने अपने घायल सैनिकों के इलाज में मॉस का प्रयोग किया था।
1: मॉस
2: लाइकेन
3: लीवर वर्ड
यही नही उत्तराखंड राज्य के जिन जगहों में फलों का उत्पादन ज्यादा होता है। वहां कास्तकार सेब और अन्य फलों को पैक करने के लिए पेटी में हैंगिंग मॉस का प्रयोग करते हैं। जिससे फलों के जल्दी ख़राब होने का खतरा भी टल जाता है।
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