वैश्विक रवैये में बदलाव के बिना महामारियों के युग से बचना मुश्किल: विशेषज्ञ
वाशिंगटन डीसी। संक्रामक बीमारियों से लड़ने के लिये वैश्विक रवैये में अगर आमूल-चूल बदलाव नहीं किये गये तो भविष्य में महामारियां जल्दी-जल्दी उभरेंगी। साथ ही वे ज्यादा तेजी से फैलेंगी, दुनिया की अर्थव्यवस्था को और ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगी और कोविड-19 के मुकाबले ज्यादा तादाद में लोगों को मारेंगी। ऐसा दावा है दुनिया के 22 शीर्ष विशेषज्ञों का जिन्होंने आज जैव-विविधता और महामारियों को लेकर एक रिपोर्ट जारी कर यह चेतावनी दी है।
इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफार्म और बायोडायवर्सिटी एण्ड इकोसिस्टम सर्विसेज (आईपीबीईएस) द्वारा कुदरत में आ रही खराबियों और महामारियों के बढ़ते खतरों के बीच सम्बन्धों पर चर्चा के लिये आयोजित एक आपात वर्चुअल वर्कशॉप में विशेषज्ञ इस बात पर सहमत दिखे कि महामारियों के युग से बचा जा सकता है, बशर्ते महामारियों के प्रति अपने रवैये में बुनियादी बदलाव लाकर प्रतिक्रिया के बजाय रोकथाम पर ध्यान दिया जाए। बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 वर्ष 1918 में फैली ग्रेट इंफ्लूएंजा महामारी के बाद से अब तक आयी कम से कम छठी वैश्विक महामारी है। हालांकि इसकी शुरुआत जानवरों द्वारा लाये गये माइक्रोब्स से हुई, मगर अन्य सभी महामारियों की तरह यह भी पूरे तरीके से इंसान की नुकसानदेह गतिविधियों की वजह से फैली। ऐसा अनुमान है कि स्तनधारियों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों में इस वक्त 17 लाख ‘अनखोजे’ वायरस मौजूद हैं। उनमें से लगभग 85 हजार ऐसे हैं जो इंसान को संक्रमित करने की क्षमता रखते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.