अंतिम संस्कार के दौरान जब शरीर को अग्नि दी जाती है तो उस से पहले शव को श्मशान तक ले जाया गया होता है उसी शैय्या का एक बांस निकालकर उससे शव के सिर पर चोट किया जाता है जिसे कपाल क्रिया कहा जाता है। इस से सांसरिक जीवन में फंसा व्यक्ति इस मोह माया के बंधन से मुक्त हो जाता है।
अंतिम संस्कार के बाद यह क्रिया भी जरूरी
अंतिम संस्कार के अंत में परिवार के लोग श्मशान से वापस घर लौटे समय 5 लकड़ी के टुकड़े 3 दाएं हाथ में और 2 बाएं हाथ में रखते हैं और शव दाह से उलटी दिशा में खड़े होकर सिर से ऊपर से लकड़ियों को पीछे की ओर फेंकते हैं और वापस घर लौट चलते हैं। इसके बाद वापस पीछे मुड़ कर नहीं देखा जाता है। इस क्रिया के माध्यम से परिवार वाले कहते हैं कि अब तुम पंचतत्व में विलीन होकर इस संसार का मोह त्याग दो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.