शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस, जागरूकता जरूरी

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर ) पर विशेष।


नई दिल्ली। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति हर किसी को जागरूक होना जरूरी। मानसिक रूप से अस्वस्थ का उपहास न उड़ायें, दें साथ। मानसिक स्वास्थ्य को करें स्वीकार, खुलकर इस पर करें बातकानपुर। कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप हमारे दैनिक जीवन में काफी बदलाव आया है। पिछले महीनों में कई चुनौतियां जैसे स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के डर के बीच कार्य करना, छात्रों का घर से कक्षाएं लेना, शिक्षकों को घर से पढ़ाना। लोगों का बेरोज़गार होना व मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों का सामाजिक अलगाव होना आदि शामिल हैं। वही कुछ लोग जिन्हे अपने प्रियजन को अलविदा कहने का भी मौका नही मिला है। यह वह स्थितियाँ है जिसकी वजह से मानसिक तनाव, डिप्रेशन बढ़ा है। यह कहना है मानसिक स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी डॉ॰ महेश कुमार का। वह बताते हैं कि आपात स्थिति को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले महीनों और वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक समर्थन की आवश्यकता में काफी वृद्धि होगी। जिसके लिए सभी को इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। यदि कोई व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित है तो उसे पागल करार न करें  और न ही उसका उपहास करें , बल्कि उसका साथ दें । बहुत मामलों  में हमें नहीं पता चलता कि व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ  है, ऐसे में परिवार की भूमिका अहम हो जाती या व्यक्ति विशेष खुद एक्सपर्ट  से राय ले सकता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य सबसे ज्यादा उपेक्षित क्षेत्रों में से एक है। विश्व में करीब 100 करोड़ लोग एक मानसिक विकार के साथ जी रहे हैं व प्रत्येक 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करके मर जाता है।  अब, दुनिया भर के करोड़ों लोग कोविड-19 महामारी से प्रभावित हैं, जिसका लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर और प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही दुनिया भर में बहुत कम लोगों की पहुँच गुणवत्ता युक्त मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, मानसिक, न्यूरोलॉजिकल और मादक पदार्थों के सेवन से ग्रसित 75% से अधिक लोग बिल्कुल भी इलाज नहीं कराते हैं। साथ ही सामाजिक कलंक और भेदभाव के कारण बहुत से लोग खुलकर इसको स्वीकार नहीं करते। जिसका असर मानव जीवन पर पड़ रहा है।मानसिक रोग के यह हैं लक्षणमनोचिकित्सक डा. चिरंजीव का कहना है कि नींद न आना, चिंता, घबराहट, तनाव होना, काम में मन न लगना, आत्महत्या के विचार आना, मन में उदासी रहना, किसी से बात न करना, एकांत वास करना, भूत प्रेत-देवी देवता आदि की छाया का भ्रम होना, याददाश्त की कमी होना, बुद्धि का कम विकास होना, किसी प्रकार का नशा करना, मिर्गी व बेहोशी के दौरे आना इत्यादि मानसिक रोग के कारण हो सकते हैं । परिवार के किसी भी व्यक्ति में यह सभी लक्षण पाए जाने पर उसे स्वास्थ्य इकाई तक जरूर ले जाएं। हर दिन 8-10 लोग आते हैं। अस्पतालमानसिक रोग विभाग में कार्यरत निलेश बताते हैं कि इस समय रोजाना 8-10 लोग काउंसिलिंग के लिए आते हैं। कोरोना के प्रति उपजे भ्रम और डर को दूर करने के लिए कोरोना से सही होने वाले लोग व इसके प्रति चिंता वाले लोग ज्यादा आ रहे हैं।           


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