मास्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसे ना सिर्फ एशिया, बल्कि दुनिया भर में सतर्क निगाहों से देखा जाएगा। भारत के लिए तो इस पर गौर करना बेहद अहम है। पुतिन ने कहा कि वे रूस और चीन के बीच सैनिक संधि करने पर विचार करने को तैयार हैं। ये संधि कुछ उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) जैसी हो सकती है। नाटो पश्चिमी देशों के बीच सैनिक संधि है, जिसमें यह प्रावधान है कि किसी एक देश पर हमला होने पर संधि के सदस्य बाकी देश भी उसे खुद पर हमला मानेंगे। मास्को स्थित थिंक टैंक ‘वल्दाई डिस्कशन क्लब’ के सदस्यों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए गुरुवार रात पुतिन ने कहा कि फिलहाल ऐसी किसी संधि के प्रस्ताव पर विचार नहीं चल रहा है, लेकिन इसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस सिलसिले में उन्होंने ध्यान दिलाया कि रूस और चीन नियमित रूप से साझा सैनिक अभ्यास करते हैं। वे आपस में न सिर्फ हथियारों की खरीद-बिक्री करते हैं, बल्कि संवेदनशील तकनीक का आदान-प्रदान भी करते हैं।
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