पराली जलाने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई विशेष कमेटी, यूपी, हरियाणा और पंजाब में रखेगी निगरानी
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का कारण बनी पराली को जलाने पर रोक संबंधी कदमों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर का एक सदस्यीय कमेटी गठित की है। लोकुर कमेटी पराली जलाए जाने की घटनाओं संबंधी अपनी रिपोर्ट दशहरा की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने में लोकुर कमेटी की मदद के लिए राष्ट्रीय कैडेट कोर ( एनसीसी ), भारत स्काउट्स और गाइड्स और राष्ट्रीय सेवा योजना ( एनसीसी) को भी उन क्षेत्रों तैनात किया जाए। ये मोबाइल टीमें खेतों में आग लगने की सूचना देंगी जिसके आधार पर अधिकारी कार्रवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश दो युवा पर्यावरणविदों द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आया है। जिसमें मांग की गई थी। कि पराली जलाने से रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि अदालत की निगरानी के बावजूद राज्य इस खतरे को रोकने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि इस साल खेत की आग (पराली जलाने की घटनाएं) पांच गुना बढ़ गई हैं। और इसे रोकने के लिए तत्काल आदेश की आवश्यकता होगी, क्योंकि अदालत के दोबारा खुलने तक यह समस्या असहनीय स्थिति पैदा कर सकती है। वकील ने इसके लिए जस्टिस लोकुर को नियुक्त करने का सुझाव दिया। दैनिक हिंदुस्तान के अनुसार अदालत ने पंजाब और हरियाणा राज्यों को भी सुना और अपने आदेश में कहा कि भले ही पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। लेकिन दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के बीच निवारक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन की बेंच ने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित हैं। कि दिल्ली और एनसीआर के नागरिकों को अच्छी और स्वच्छ हवा में सांस लेनी चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को उन खेतों की निगरानी में लोकुर कमेटी की मदद करने का निर्देश दिया जिनमें पराली जलाई जाती है। कोर्ट ने कमेटी को सभी सहायता प्रदान करने और बुनियादी ढांचे, परिवहन और मोबाइल टीमों की सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए कहा है।
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