मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

निरीह प्रतिनिधित्व पर बार-बार धिक्कार

ऐसे प्रतिनिधित्व पर बार-बार धिक्कार हैं
अश्वनी उपाध्याय 
गाजियाबाद। उत्तर-प्रदेश में अपराध के बढ़ते ग्राफ को लेकर समाज का प्रत्येक व्यक्ति चिंतित है। लूट, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की भरमार हो गई है। जिसमें 60% अपराध को पुष्ट करने में पुलिस का सहयोग रहता है। जनपद गाजियाबाद की हालियां तस्वीर कितनी खतरनाक और बदरूप है ? इसका अनुमान लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अपराधिक इकाइयों का एक जाल सा बुन गया है। गली-गली और चौराहों पर अवैध व्यापार, खुलेआम चोरी और तस्करी जैसे अपराध का केंद्र बनता जा रहा है। 
जनपद में गैरकानूनी काम इतने अधिक हो गए हैं कि गाजियाबाद को अपराध का हब कहे जाने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अवैध तस्करी किए गये मादक पदार्थों का करोड़ों रुपए का व्यापार किया जा रहा है। इसमें पुलिस की संलिप्ता और मुख्य अधिकारियों की उदारता को नकारा नहीं जा सकता है। चौकी और थानों में अपराध के टेंडर छोड़े जाते हैं। इसमें प्रशासन की सहभागिता से भी मुंह नहीं घुमाया जा सकता है। बल्कि प्रशासनिक अधिकारी अपने घटिया निजी स्वार्थ के कारण इस प्रकार के अपराधों पर अंकुश लगाने में सदा असफल रहते हैं।
 स्थानीय जनप्रतिनिधि भी अपने व्यर्थ के स्वार्थ को साधने के चक्कर में अपने ही लोगों पर होने वाले अत्याचार को मूकबधिरो की भांति देखते रहते हैं। हमारे सामने हमारा युवा वर्ग जिंदगी को अंधेरे कुएं में धकेल रहा है। हम मात्र दर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं। जो भी लूट, खसौट और डाका डाला जा रहा है। उससे अलग हम जनता के प्रति अपने दायित्व से कैसे भाग सकते हैं ? समाज के प्रति अपने कर्तव्य से कैसे मुंह घुमा सकते हैं ? ऐसे निरीह प्रतिनिधित्व पर बार-बार धिक्कार है।                     


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ  गणेश साहू  कौशाम्बी। मुख्य विकास अधिकारी अजीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को जिल...