मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

कृषि कानूनः विरोध में पटरियों पर अड़े किसान

राणा ऑबरॉय


चंडीगढ़। कृषि कानूनों को लेकर एक अक्टूबर से रेल लाइनों पर डटे हुए किसान संगठनों ने रेल लाइनों से धरने न हटाने का निर्णय लिया है। 29 किसान संगठनों की मीटिंग किसान भवन चंडीगढ़ में हो रही है। हालांकि पहले यह 31 संगठन थे, बाद में भाकियू लक्खोवाल द्वारा अपने स्तर पर सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने से अन्य संगठन नाराज हो गए थे तथा भाकियू लक्खोवाल को अपने मोर्चे से सस्पेंड कर दिया था। हालांकि अब भाकियू लक्खोलाल ने यह रिट वापस ले ली है और उनकी वापसी बारे आज की मीटिंग के दूसरे चरण में विचार किया जाना शेष है। लेकिन अब एक और किसान यूनियन भाकियू एकता उगराहां ने रेल लाइनों से धरने उठाने कर शहरों की ओर कूच करने व भाजपा नेताओं का घेराव करने का ऐलान कर दिया है। 29 किसान संगठनों के नेताओं ने मीटिंग के पहले चरण के बाद बाहर आकर पत्रकारों को भाकियू एकता उगराहां के फैसले से अपनी असहमति जताई तथा कहा कि यह उनका निर्णय है और हमारा इससे कोई लेना देना नहीं है। हमारी यूनियनों के सभी वर्कर पहले की भांति रेल लाइनों पर डटे रहेंगे और धरने नहीं हटेंगे। और बाकी मुद्दों पर विचार के लिए दूसरे चरण की दोपहर में मीटिंग होनी है। जिसके बारे में आज शाम चार बजे तक निर्णय कर लिया जाएगा और प्रेस के जरिये जानकारी दे दी जाएगी। उन्होंने भाजपा पंजाब प्रधान पर हमले बारे कहा कि इस घटना के अलावा फतेहगढ़ साहिब में बेअदबी की घटनाएं सभी कुछ किसान आंदोलन को दबाने व ध्यान बंटाने की साजिशें है। हमारे किसी भी किसान सदस्य द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है तथा किसान आंदोलन बेहद शांतिपूर्वक है। उन्होंने सदस्यों को कहा कि यदि कोई भाजपा नेता वर्कर अपने प्रधान पर हुए हमलों के खिलाफ डीसी आफिसों में जाकर रोष व्यक्ता करता है तो उन्हें रोका न जाए। विरोध करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। हमले के पीछे असामाजिक व शरारती लोगों का हाथ है।             


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