कोरोना का दोबारा संक्रमण बेहद घातक, मरीज़ों को पड़ रही ऑक्सीजन की जरूरत
दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अब तक 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं वैज्ञानिक स्तर पर इस वायरस और संक्रमण (कोविड-19) को समझने के लिए कई शोध चल रहे हैं। इस बीच एक अहम शोध सामने आया है।जिसमें पाया गया है कि जिन लोगों को दोबारा कोरोना वायरस संक्रमण हो रहा है। उन्हें पहले की तुलना में कहीं अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शोध में कहा गया है कि इससे यह पता चलता है कि कोरोना वायरस संक्रमण पहले से कहीं अधिक खतरनाक हो रहा है।
कोरोना वायरस संक्रमण पर हुआ यह शोध मंगलवार को द लैंसेंट मैगजीन में इंफेक्शस डिसीज नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें अमेरिका में एक व्यक्ति को हुए दोबारा कोरोना वायरस संक्रमण के पहले केस के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें भविष्य में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर आशंकाओं के बारे में भी बताया गया है। शोध में बताया गया है कि नेवाडा के 25 साल के एक युवक में 48 दिनों में दो बार कोरोना वायरस संक्रमण का वायरस पाया गया है। उसमें Sars-Cov-2 के दो अलग प्रकार पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि दूसरी बार हुआ संक्रमण पहले वाले से काफी घातक है। दूसरी बार इंफेक्शन होने पर अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहना पड़ता है। शोध में चार और ऐसे मामलों की जानकारी दी गई है, जिनमें लोगों को दूसरी बार कोरोना संक्रमण हुआ। इनमें एक बेल्जियम, नीदरलैंड, हांग कांग और इक्वाडोर शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि दूसरी बार कोरोना संक्रमण के मामलों के अध्ययन से वैश्विक रूप इस बात में मदद मिल सकती है कि आखिर दुनिया में कैसे कोविड महामारी से लड़ा जाए। विशेष रूप से यह वैश्विक स्तर पर हो रही कोरोना वैक्सीन की खोज पर भी असर डाल सकता है। एक शोधकर्ता का कहना है कि हमें यह समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि SARS-CoV-2 के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए इम्युनिटी कितनी लंबी हो सकती है और इनमें से कुछ अन्य संक्रमण क्यों अधिक गंभीर रूप में सामने आ रहे हैं।
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