सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

दाढ़ी बढ़ेगी, महंगाई भी बढ़ेगी 'संपादकीय'

 दाढ़ी बढ़ेगी,महगांंई भी बढ़ेगी 'संपादकीय' 
जैसे-जैसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाढी बढ़ती जा रही है। देश में महंगाई और भ्रष्टाचार भी अपने विस्तार की बढ़ोतरी कर रहा है। देश में गरीब आदमी का जीवन दुर्गम और कठिन बनता जा रहा है। सुख-सुविधा जैसे शब्द गरीब आदमी के लिए अभिशाप बन गए हैं। रोजमर्रा की जिंदगी प्रतिदिन प्रयोग में आने वाली खाद सामग्री भी बमुश्किल नसीब हो रही है। यदि यह राष्ट्र का विकास है तो ऐसे घटिया विचार और प्रस्ताव की कड़ी निंदा करता हूं। बल्कि ऐसे दकियानूसी नेतृत्व का बहिष्कार करता हूं। जिस देश में गरीबों पर इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से अत्याचार किया जा रहा है। उस देश के नेतृत्व पर उंगली उठना लाजमी है।
 हालांकि जल्द ही हालात में सुधार नहीं हो पाया तो जनता मुंह पर थूकने से भी नहीं चूकेगी। जनता के द्वारा चुनी गई सरकार जनता के साथ ऐसा व्यवहार करेगी। जनता ने ऐसी कल्पना नहीं की थी। जनता राष्ट्र निर्माण में सहयोगी रही है। लेकिन जनता को इस प्रकार की स्थिति में लेकर आना, जहां काम-धंधा और रोजगार के नाम पर युवा वर्ग का मजाक बना दिया गया है। पेट भरने का संकट मजदूर के सुकून को ड़स रहा हैं। लानत है ऐसी नीति और नेतृत्व पर, धिक्कार है राष्ट्र चिंतन करने वालों पर जो केवल जनता के धन पर डाका डालते हैं।
 भाजपा नेताओं की रैलियों में बेवजह उन्मादी प्रचार में वायरस कहीं एकांत में जाकर सो जाता है। आम आदमी के चारों तरफ वायरस का खतरा बना रहता है। उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। उसका उत्पीड़न किया जाता है। इससे ज्यादा भ्रष्टाचार क्या हो सकता है? आम आदमी को लूटने के अलावा सरकार के पास काम नहीं है। जनता के हित और आवश्यकताओं के प्रति सरकार की उदारवादी नीतियां इतिहास में घृणात्मक दृष्टिकोण की अमिट छाप छोड़ेगी। राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'                


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