शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

बालि वध और लंका दहन का हुआ मंचन

अयोध्याः रामलीला के छठवें दिन बालि वध और लंका दहन का हुआ मंचन


उमय सिंह साहू


अयोध्या। श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में मोक्षदायिनी सरयू के किनारे लक्ष्मण किला के मैदान में चल रही फिल्मी कलाकारों की रामलीला के छठवें दिन बालि वध, रावण सीता संवाद और लंका दहन प्रसंग का मंचन किया गया। तीन घंटे चले इस मंचन का दूरदर्शन समेत सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण हुआ। फिल्मी कलाकारों की रामलीला का आयोजन प्रदेश सरकार, संस्कृति मंत्रालय और अयोध्या शोध संस्थान के सहयोग से किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार के सहयोग से दिल्ली के द्वारिका में फिल्मी कलाकारों की रामलीला आयोजित करने वाली संस्था मां फाउंडेशन रामलीला समिति की ओर से राम नगरी अयोध्या के लक्ष्मण किला मैदान में सरयू किनारे रामलीला का मंचन किया जा रहा है। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन से शुरू इस फिल्मी कलाकारों की रामलीला में छठवें दिन बालि वध रावण सीता संवाद और लंका दहन प्रसंग का मंचन हुआ।
सुसज्जित और तकनीक से लैस रामलीला के मंच पर मंचन की शुरुआत शबरी के आश्रम से होती। माता शबरी से विदा लेकर राम लक्ष्मण आगे को रवाना होते हैं। अगले दृश्य में माता सीता की खोज में भटक रहे राम और लक्ष्मण की मुलाकात बानर राजा सुग्रीव से होती है। मुलाकात के पूर्व वानर राज सुग्रीव के प्रिय हनुमान ब्राह्मण वेश में राम से मुलाकात करते हैं। और प्रयोजन जानते हैं। इसके बाद राम की मुलाकात सुग्रीव से कराते हैं।
मंच का परिदृश्य बदलता है बालि का महल सजा हुआ है,वह सुग्रीव को युद्ध के लिए ललकारता है। इसी माहौल में बाल कि तारा के साथ युद्ध का प्रसंग मंचित किया जाता है। उधर सुग्रीव भगवान राम से मदद मांगते हैं। राम के बताए अनुसार भाई बाली से युद्ध करते हैं। और राम बालि का वध कर देते हैं।
कथानक आगे बढ़ता है। सुग्रीव का राज्याभिषेक किया जाता है। प्रखंड में लक्ष्मण कुपित होते हैं और सुग्रीव दरबार में जाने से मना कर देते हैं। प्रसंग आगे बढ़ता है। और वानर राज सुग्रीव माता सीता की खोज के लिए अपनी बानरो की सेना रवाना करते हैं। इसी प्रसंग में आगे सम्माती से मुलाकात होती है।
सरयू के तट पर सजे मंच का परिदृश्य बदलता है। हनुमान जी राम की ओर से दी गई अंगूठी लेकर माता सीता की खोज में लंका पहुंचते हैं। और वहां उनकी विभीषण से मुलाकात होती है। दृश्य में बदलाव होता है। और मंच पर अशोक वाटिका का नजारा दिखता है। मंच पर लंकाधिपति रावण और माता सीता नजर आती हैं। रावण विभिन्न प्रकार से माता-पिता को समझाता और मनाता है। अगले दृश्य में अक्षय कुमार के बध का कलाकार मंचन करते हैं।
घड़ी की सुईयों के आगे बढ़ने के साथ एक बार फिर मंच के परिदृश्य में बदलाव होता है। और मंच पर रावण का दरबार सजा नजर आता है। अगले प्रसंग में मेघनाथ और हनुमान का युद्ध होता है। फिर कथानक रावण दरबार पर ही लौट आता है। दरबार में रावण और हनुमान दोनों मौजूद हैं। और दोनों के बीच संवाद चल रहा है। रावण अपने सत्य का बखान करता है तो हनुमान प्रभु श्रीराम का गुणगान करते हैं। और रावण को माता सीता को वापस लौटाने के लिए कहते हैं। लेकिन रावण इसके लिए तैयार नहीं होता है। कुपित रावण की ओर से हनुमान को दंड दिए जाने का आदेश होता है। लंका के लोग हनुमान की पूंछ में कपड़ा लपेटते हैं। और  हनुमान अपना आकार  बढ़ाते जाते हैं। पूंछ में आग लगा देने के बाद इधर उधर कूदकर पूरी लंका में आग लगा देते हैं। लंका दहन के साथी छठवें दिन के मंचन का समापन होता है।और आरती शुरू हो जाती है। फिल्म स्टार फिल्म विन्दु दारा सिंह हनुमान के, शाहबाज खान रावण के, अभिनेता राकेश बेदी  विभीषण के किरदार में मंच पर नज़र आए।               


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