नई दिल्ली। औरंगजेब को छोड़कर सारे मुग़ल बादशाह हर हिंदुस्तानी त्योहार को धूमधाम से शाही अंदाज में मनाया करते थे। जिसकी शुरुआत अकबर ने की थी जो आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर तक चलती रही। मुग़ल दरबारी मुंशी फैजुद्दीन लिखते हैं- दशहरे की सुबह बहादुरशाह ज़फ़र सबसे पहले किले की बालकनी से खड़े होकर नीलकण्ठ पक्षी देखते थे जो हिंदू धर्म के अनुसार दशहरे के दिन नीलकंठ देखना शुभ माना जाता है। फिर दोपहर होते ही किले से शाही सवारी निकलती थी जो किले के पीछे यमुना नदी के किनारे बने रामलीला स्टेज तक जाती थी।
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