लखनऊ विश्वविद्यालय नेतृत्व, सृजनात्मकता व नवोन्मेष पर परिप्रेक्ष्य विषय पर वेबिनार का आयोजन।
संदीप मिश्रा
लखनऊ। नेतृत्व करना एक विशेष कला है, और यह काबिलियत सामान्य व्यक्ति के भीतर नहीं पाई जाती| यह अवश्य है,कि यदि कोई बहुत मेहनत करें तो वह एक लीडरशिप के कई गुणों से अपनी पर्सनैलिटी को निखार सकता है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय के टे्निंग एंड प्लेसमेंट सेल के अंतर्गत "नेतृत्व, सृजनात्मकता व नवोन्मेष पर परिप्रेक्ष्य" विषय पर वेबिनार का आयोजन डॉ हिमांशु पांडे एवं डॉ ईशा सिंह के द्वारा किया गया।
वेबिनार का विमोचन प्रोफ़ेसर आर. एस. गुप्ता द्वारा किया गया|
वेबिनार मे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के सेंटर फ़ॉर इंग्लिश के हेड और जाने-माने लेखक प्रोफ़ेसर धनंजय सिंह ने सृजनात्मकता व कल्पना के बारे में छात्रों के साथ अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि नेतृत्व करना एक विशेष कला है और यह काबिलियत सामान्य व्यक्ति के भीतर नहीं पाई जाती| यह अवश्य है,कि यदि कोई बहुत मेहनत करें तो वह एक लीडरशिप के कई गुणों से अपनी पर्सनैलिटी को निखार सकता है | अच्छे तरीके से जीवन प्रबंधन कर पाना भी ऐसे ही लोगों के लिए संभव है, जिनके अंदर नेतृत्व करने की विशेष योग्यता हो|
लीडरशिप स्किल किसी व्यक्ति की पर्सनालिटी का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है| एक सफल और संतोषप्रद जीवन कैसे किया जाए, यह इस बात पर निर्भर करता है,कि क्या आपके अंदर सही नेतृत्व क्षमता है, यह एक ऐसी योग्यता है जो तभी पूर्ण होती है जब आपका व्यक्तित्व सही तरह से विकसित होता है|
वेबिनार का दूसरा सेशन उत्तर प्रदेश के महिला व बाल कल्याण विभाग के निदेशक श्री मनोज कुमार राय जी द्वारा लिया गया। उन्होंने रचनात्मकता के बारे में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रचनात्मकता एक नई और असामान्य रोशनी में चीजों को देखने की क्षमता है, समस्याओं को देखने के लिए जो किसी और को भी इसके अस्तित्व का एहसास नहीं हो सकता है, और फिर नए, असामान्य और प्रभावी समाधानों के साथ आने के लिए| उन्होंने रचनात्मक लोगों के स्वभाव के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि सृजन शक्ति को बढ़ाने के लिये वह कार्य करना चाहिए जिससे आनंद मिलता हो। सृजनात्मकता से छात्र अपनी स्वभाविक शक्ति का उपयोग कर सकते हैं ।
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