हरिओम उपाध्याय
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की सीमा पर मई से जारी तनाव जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है। चीन के साथ तनाव की वजह से सीमा पर हजारों की संख्या में सैनिक तैनात हैं और पूरी सर्दी उनकी तैनाती रह सकती है। इसीलिए भारतीय सेना इस पहाड़ी रेगिस्तान में पानी की स्थायी व्यवस्था कर रही है ताकि लम्बी तैनाती के दौरान पेयजल संकट का सामना न करना पड़े। अब तक गलवान घाटी के अलावा पैंगोंग त्सो, लुकुंग, थाकुंग, चुशुल, रेजांग ला और तांग्से में ड्रिलिंग करके पानी की तलाश पूरी की जा चुकी है। इस समय 17 हजार फीट की ऊंचाई पर दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेप्सांग इलाके में पानी की खोज के लिए ड्रिलिंग की जा रही है।
लद्दाख की सीमा पर चीन के साथ तनाव की वजह से हजारों सैनिकों की तैनाती की गई है। चीनी सेना से लम्बी लड़ाई के लिए भारतीय सेनाओं की तैयारियां इन दिनों जोरों पर हैं। वायुसेना के परिवहन विमानों से सैनिकों की जरूरत का सामान लेह-लद्दाख पहुंचाया जा रहा है। आने वाली सर्दियों को देखते हुए जरूरी हथियार, राशन और साजो-सामान को अग्रिम चौकियों तक पहुंचाने के लिए चिनूक हेलीकॉप्टर को लगाया गया है। इसीलिए भारतीय सेना इन इलाकों में पेयजल की भी स्थायी व्यवस्था करने में जुटी है। हजारों फीट ऊंचे पहाड़ों के बीच पानी की तलाश आसान नहीं है लेकिन हर मुश्किल काम के लिए आसान राह बनाने की पहचान रखने वाली भारतीय सेना ने इन पहाड़ी रेगिस्तानों में भी पानी की खोज कर डाली है।
सेना का यह चुनौती भरा मिशन हजारों फीट ऊंचे गलवान घाटी के अलावा पैंगोंग त्सो, लुकुंग, थाकुंग, चुशुल, रेजांग ला और तांग्से में पूरा हो चुका है। यह पूरा इलाका रणनीतिक ऊंचाइयों वाली चोटियों के बीच फैला है। इन ठंडी पहाड़ियों के बीच पानी की तलाश पूरी होने के बाद अब दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और इससे सटे डेप्सांग मैदान इलाके में भूजल का स्त्रोत खंगाला जा रहा है।डीबीओ को चीन सीमा पर भारत की अंतिम चौकी माना जाता है। इस मिशन में लगी सेना की टीम ने हाल ही में दौलत बेग ओल्डी और लेह का दौरा किया है। सेना की टीम के साथ भू-वैज्ञानिक डॉ रितेश आर्या पानी की खोज में लगे हैं। उन्हें गहरी ड्रिलिंग के बाद डीबीओ में भी भूजल की तलाश पूरी होने की उम्मीद है।
पानी की स्थाई व्यवस्था करने के साथ ही सीमा पर तैनात जवानों को लगातार राशन भेजा जा रहा है।इसके अलावा सर्दियों के लिए कपड़े, सर्दियों के लिए टेंट, खाना, सूखा राशन, हथियार और अन्य जरूरी सामान की खेप पहुंचना शुरू हो गई है। इस मिशन में वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर सेना की मदद कर रहा है ताकि सर्दियों से पहले सभी आपूर्ति को पूरा किया जा सका। अगले महीने से इस इलाके में बर्फबारी शुरू हो सकती है, ऐसे में यातायात को लेकर काफी दिक्कतें आती हैं। इसी वजह से सभी आपूर्ति को इससे पहले पूरा किया जा रहा है।
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