शुरू हुआ माघ मेले की तैयारी, कोरोना के मद्देनजर बढे़ंगे सेक्टर,दूर-दूर बसेंगे संतों-कल्पवासियों के शिविर।
बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। कोविड-19, करोना के संक्रमण के बीच संगम की रेती पर माघ मेला बसाने की तैयारियां आरंभ हो गई हैं।सामाजिक दूरी का पालन कराने के लिए इस बार मेला सेक्टर बढ़ाए जाएंगे संतों और कल्पवासियों के शिविरों को दूर-दूर बसाया जाएगा मेला। कितने सेक्टर में बसेगा,और इसका स्वरूप क्या होगा। इस पर जल्द ही उच्चस्तरीय बैठक होने के संकेत मिले हैं। संगम पर माघ मेले का स्वरूप तय करने में अफसर जुट गए हैं। सूत्रों के मुताबिक दूरी बनाए रखने के लिए सेक्टरों की संख्या बढ़ाई जा सकती है,ताकि दूर-दूर शिविरों को बसाने की सुविधा मिल सके। इसके साथ ही अभी यह भी तय किया जा रहा है,कि इस माघ मेले में कितनी धार्मिक-सांस्कृत संस्थाओं को बसाया जाए।मेले में चार से 5-हजार संस्थाओं के शिविर लगते रहे हैं। ऐसे में इस बार संस्थाओं की बजाए कल्पवासियों को प्राथमिकता दी जा सकती है। कुछ संतों को भी जगह दी जाएगी,ताकि मेले का स्वरूप बना रहे इसी,के साथ गंगा पर पांटून पुलों और चकर्ड प्लेट मार्गों के अलावा बिजली,पानी व अन्य इंतजामों की तैयारी का खाका खींचा जाने लगा है।
कोरोना वायरस के संक्रमण के बादल छाए हैं,इस महामारी के संक्रमण की वजह से अभी तक माघ मेले की तैयारी की दिशा में रत्ती भर कदम नहीं बढ़ाया जा सका था,इस वजह से काम पिछड़ा हुआ है। लेकिन, समय से बाढ़ का पानी उतरने से अफसर उत्साहित हैं। उनका कहना है,कि पानी सूखते ही रेती के समतलीकरण का काम आरंभ करा दिया जाएगा।पांटून पुलों,मार्गों के अलावा बिजली,पानी,सफाई व सुरक्षा से जुड़ी फाइलें तैयार कर ली गई हैं। अफसरों को अभी शासन की ओर से प्रोटोकाल का इंतजार है। प्रोटोकाल आते ही टेंडर प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी उल्लेखनीय है,कि सदियों से गंगा,यमुना और विलुप्त सरस्वती के तट पर बसने वाले माघ मेले के जरिए भारतीय आध्यात्मिक,सांस्कृतिक और सामाजिक समागम के महत्व को देश-दुनिया के पटल पर प्रस्तुत किया जाता रहा है। इसके लिए पिछले वर्ष अगस्त तक पांटून पुल, सड़क,बिजली,पेयजल समेत अन्य संसाधनों के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरा कर लिया गया था।
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