नई दिल्लीः 2020 कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी।
नई दिल्ली। देश भर में किसानों के भारी विरोध के बीच तीनो कृषि बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कृषि बिल को मंजूरी देते ही फिर से देश भर में किसानों का विरोध शुरु हो गया है। कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने आज कर्नाटक बंद बुलाया है। दिल्ली के इंडिया गेट में किसानों ने ट्रैक्टर में आग लगा दी है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज धरना पर बैठेंगे। कश्मीर में कानून के खिलाफ कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। जबकि छत्तीसगढ़ किसान यूनियन पांच अक्टूबर को अपना विरोध दर्ज करेगा।
कर्नाटक में कृषि बिल, भूमि सुधार अध्यादेशों कृषि उपज मंडी समिति (APMC) में संशोधन और श्रम कानूनों के विरोध में आज किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए एक राज्यव्यापी बंद को देखते हुए कालाबुरागी में पुलिस बलों को तैनात किया गया है। बंद के दौरान पूरे राज्य में किसानों ने प्रदर्शन करने की योजना बनायी है। हालांकि राज्य सरकार ने कहा है। कि बंद के दौरान सरकारी दफ्तर खुले रहेंग।आवश्यक सेवाएं जारी रहेगी।
कृषि कानून का विरोध दिल्ली के राजपथ तक पहुंच गया है। पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं नें नये कृषि कानूनों का विरोध करते हुए इंडिया गेट के पास ट्रैक्टर में आग लगा दी और विरोध प्रदर्शन करने लगे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि आज वो खाटकर कला शहीद भगत नगर में तीनों कृषि कानून के खिलाफ धरना पर बैठेंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में नये कृषि कानून को लागू नहीं करने का एलान किया है। सरकार का कहना है। कि यह किसान विरोधी कानून है। इसलिए इसे राज्य में लागू नहीं किया जायेगा महा विकास अगाड़ी भी राज्य में इस कानून के लागू होने का विरोध कर रहा है। महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बाला साबेह थोराट ने कहा कि हम सभी एक साथ बैठकर इसके लिए रणनीति तैयार करेंगे।
जम्मू कश्मीर के सांबा में ऑल जेके किसान संघ द्वारा नये कृषि कानून का विरोध में प्रदर्शन किया गया। कानून का विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि देश के 70 फीसदी लोग खेतीबारी करते हैं। लेकिन सरकार ने मात्र पांच फीसदी लोगों को खुश करने के लिए किसान विरोधी कानून पास किया है।
कृषि कानून के विरोध में छत्तीसगढ किसान यूनियन ने बैठक कि और फैसला किया की आगामी पांच अक्टूबर को कानून के विरोध में यूनियन द्वारा प्रदर्शन किया जायेगा यूनियन ने आरोप लगाया कि इस कानून से पूजीपतियों और उद्योगपतियों को लाभ होगा। यह कानून किसानों के हित में नहीं है।
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