मंगलवार, 8 सितंबर 2020

इंदिरा को क्यों कहा गया था 'कुत्तिया'

नई दिल्ली/  बीजिंग/ इस्लामाबाद/ वाशिंगटन डीसी। लैटिन भाषा में एक कहावत है- वर्बा वोलांट, स्क्रिप्टा मानेंट. माने- कहे हुए शब्द ख़त्म हो जाते हैं, मगर लिखे हुए शब्द हमेशा के लिए रह जाते है। ये कहावत करीब दो हज़ार साल पुरानी है। तब आवाज़ रेकॉर्ड करने की टेक्नॉलजी नहीं थी। इसीलिए इंसान के मरने के बाद भी उसकी रिकॉर्डिंग ज़िंदा रह जाती है। आज आपको ऐसी ही कुछ रिकॉर्डिंग्स के बारे में बताएंगे जब एक अमेरिकी राष्ट्रपति के दिमाग और ज़ुबान से भारत के लिए निकली गंदगी।
इस अमेरिकी राष्ट्रपति को पाकिस्तान की तानाशाही हुकूमत से हमदर्दी थी।पाकिस्तान के हाथों हो रहा भीषण नरसंहार उसके लिए कोई मुद्दा नहीं था। उसके लिए मुद्दा था भारतीय महिलाओं का रूप-रंग। उसे भारतीय महिलाएं दुनिया में सबसे ज़्यादा कुरूप लगती थीं। वो कहता था कि भारतीय महिलाओं को देखकर वो ‘टर्न ऑफ’ हो जाता है। हैरान होता है कि भारतीय महिलाएं बच्चे कैसे पैदा कर लेती हैं। उसका कहना था कि अफ्रीका के लोगों में फिर भी जानवरों वाला चार्म होता है। मगर हिंदुस्तानी, वो तो बिल्कुल बेकार और बर्बाद होते है।


ये वही नस्लीय सोच वाला अमेरिकी राष्ट्रपति है, जिसने हमारी प्रधानमंत्री को ‘चुड़ैल’ कहा था। इस पूर्व राष्ट्रपति की भारत से जुड़ी अपमानजनक टिप्पणियां पहले भी कई बार उजागर हो चुकी हैं। जिन पर अमेरिका को काफी शर्मिंदा होना पड़ा था। अब एक बार फिर अमेरिका को अपने इस पूर्व राष्ट्रपति की भारत पर की गई नस्लीय टिप्पणियों से शर्मसार होना पड़ रहा है। 
ये किस राष्ट्रपति की बात कर रहे हैं हम?
बात 49 साल पुरानी है। तारीख़ - 25 मार्च, 1971।स्थान यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका, जहां दो हॉस्टल हैं- इक़बाल हॉल और जगन्नाथ हॉल। इकबाल हॉल में मुस्लिम छात्र रहते थे। जगन्नाथ हॉल में हिन्दू छात्र। रात के साढ़े 11 बजे चार M-47 टैंक इन दोनों हॉस्टल्स के सामने रुके। पाकिस्तानी फ़ौज की एक टुकड़ी ये टैंक लेकर वहां पहुंची थी। बिना किसी चेतावनी के इन चारों टैंकों ने छात्रावासों पर बम दागने शुरू किए। करीब पांच मिनट बाद पाकिस्तानी सैनिक हॉस्टल में घुसे और अंधाधुंध गोलियां चलाईं और ज़िंदा बचे छात्रों को हॉस्टल के बाहर दीवार की सीध में खड़ा करके तोप से भून दिया गया। 15-20 मिनट के भीतर करीब 200 छात्रों की हत्या कर दी गई
ये रात पूर्वी पाकिस्तान, वर्तमान बांग्लादेश, के इतिहास में काली रात कहलाती है। इसी रात के बाद पाकिस्तान के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से के बीच गृह युद्ध शुरू हुआ। नौ महीने तक चले इस सिविल वॉर का अंत किया भारत ने। दिसंबर 1971 में भारत को इस युद्ध में शामिल होना पड़ा। हमने पाकिस्तानी सेना को हराया और इसके बाद जाकर गठन हुआ बांग्लादेश का।


याहिया खान


पूर्वी पाकिस्तान नरसंहार का दोषी कौन?
बांग्लादेश के गठन की कहानी एक भीषण नरसंहार पर लिखी गई है। इस नरसंहार में पूर्वी पाकिस्तान नरसंहार, जिसमें करीब पांच लाख लोग मारे गए। कई अनुमान मृतकों की संख्या 30 लाख तक बताते हैं। मगर इस जेनोसाइड के लिए अकेले पाकिस्तान दोषी नहीं था। इसमें पाकिस्तान के हाथ मज़बूत करने वाले, उसे नरसंहार के औज़ार देने वाले, उसके लिए इंटरनैशनल सपोर्ट जुटाने वाले उसके दो सबसे बड़े मददगार थे- निक्सन और किसिंगर।              


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