बृजेश केसरवानी
प्रयागराज।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए यूपी के प्राइमरी स्कूल में नियुक्त अनुदेशकों को 7 हजार रुपये मानदेय देने के मुद्दे पर राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने अनुदेशकों का मानदेय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के न्यूनतम वेतन से भी कम होने के विषय पर सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने गोरखपुर में नियुक्त अनुदेशकों को 100 से कम छात्र संख्या होने के कारण स्कूल से हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है और सातों याची अनुदेशकों को 31 जनवरी 2013 के शासनादेश के तहत कार्य करने देने और मानदेय का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
यही नहीं अनुदेशकों को मानदेय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के न्यूनतम वेतन से भी कम सिर्फ 7 हजार रुपये होने के मुद्दे पर भी हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने प्रभुशंकर और 6 अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है। याचियों का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत केन्द्र सरकार ने अनिवार्य शिक्षा कानून बनाया। शिक्षकों की जरूरत पूरी करने के लिए मानदेय पर 11 माह के लिए नवीनीकृत करने की शर्त के साथ अनुदेशकों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई है।
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