लद्दाख: स्पेशल टेंट तैयार,भीष्म टैंक की हुंकार, चीन से निपटने की ऐसी है सेना की रणनीति।
बीजिंग। भले ही इस वक्त भारत और चीनी सेनाओं के बीच में एक बार फिर से बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिशें हो रही हैं लेकिन भारतीय सेना के तेवर से साफ है कि वह किसी भी मोर्चे पर चीन के खिलाफ अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती।
पिछले लगभग पांच महीनों से लद्दाख सरहद पर भारत और चीनी सेना युद्ध के मोर्चे पर तैनात हैं। ‘आजतक’ और ‘इंडिया टुडे’ की टीम लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से भारतीय सेना के शौर्य को दिखा रही है। लेह से 200 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख के चुमार डेमचौक सरहद पर भारतीय सेना के सैनिक और टैंक किस तरह से चीन के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार हैं, आजतक/ इंडिया टुडे की टीम इस वॉर जोन में पहुंची है।
16000 से लेकर 18000 फीट की ऊंचाई पर शून्य से नीचे के तापमान में भारतीय सेना के जवान किस तरह से तैनात हैं।कैसे उनके रहने के लिए खास तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं।प्रीफैब्रीकेटेड हट्स तैयार की जा रही है। आजतक की टीम ने लेह से अपना सफर शुरू किया।आजतक की टीम लेह, कारू और चुमाथांग होते हुए पूर्वी लद्दाख के चुमार डेमचौक सरहद पहुंची। रास्ते में जगह-जगह भारतीय सेना की तैयारियां देखने को मिलीं।
भले ही इस वक्त भारत और चीनी सेनाओं के बीच में एक बार फिर से बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिशें हो रही हैं लेकिन भारतीय सेना के तेवर से साफ है कि वह किसी भी मोर्चे पर चीन के खिलाफ अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। सबसे पहले जान लें कि डेमचौक में सिंधु नदी के किनारे हजारों मील में फैली घाटी में किस तरह से भारतीय सेना के टी 90 टैंक और बीएमपी चीन के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं। जरूरत पड़ने पर कुछ ही मिनटों में ये टैंक चीन की सरहद में घुसकर उसके ठिकानों को नेस्तनाबूद कर सकते हैं।
टी-90 भीष्म टैंक तैनात
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनातनी के बीच भारत ने दुनिया के सबसे अचूक टैंक माने जाने वाले टी-90 भीष्म टैंक को तैनात कर दिया है। इसकी तैनाती के साथ ही लद्दाख में इसे भारतीय सेना का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी तैनाती का मतलब है कि भारतीय सेना युद्ध जैसे हालात के लिए हर पल तैयार है।टी-90 भीष्म टैंक में मिसाइल हमले को रोकने वाला कवच है।इसमें शक्तिशाली 1000 हॉर्स पावर का इंजन है। यह एक बार में 550 किमी की दूरी तय करने में सक्षम है। इसका वजन 48 टन है। यह दुनिया के हल्के टैंकों में एक है। यह दिन और रात में दुश्मन से लड़ने की क्षमता रखता है। ऐसे में भारतीय सेना के टैंकों की गर्जना से चीन के छक्के छूट रहे हैं।
अब हम आपको बताते हैं कि किस तरह से बीएमपी जो पहले सिर्फ रेगिस्तान और पानी के इलाकों में ही काम कर सकता था, अब ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी दुश्मन से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस बीएमपी किसी भी ठिकाने को आसानी से शिकार बना सकता है।यहां पर मौजूद टैंक और बीएमपी चलाने वाले सैनिकों का जोश देखते ही बनता है। यहां मौजूद भारतीय सेना के आला अधिकारी बताते हैं कि आने वाली सर्दियों को देखते हुए भारतीय सेना ने अपनी तैयारियों को पूरी तरह से चाक-चौबंद कर लिया है।सर्दियों के लिए राशन, हथियार, तेल और रहने के लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं।
मौसम भी बड़ा दुश्मन।
यहां पर न सिर्फ चीनी सेना दुश्मन है बल्कि मौसम भी एक बड़ा दुश्मन है।बर्फबारी शुरू हो चुकी है और अब तापमान शून्य से 20 से लेकर 40 डिग्री नीचे जाने वाला है। ऐसे में यहां सैनिकों के रहने के लिए खास तरह के टेंट और प्रीफैब्रीकेटेड हट्स तैयार किए जा रहे हैं। इन हट्स में जवानों की रहने, खाने जैसी हर तरह की सुविधा का ध्यान रखा गया है। खासतौर से शून्य से नीचे के तापमान में जवान यहां आराम से रह सकें, इसके खास इंतजाम किए गए हैं। चीन की चालबाजी को देखते हुए लद्दाख में चीन से लगने वाली सीमा के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में सेना युद्ध स्तर पर ऐसे टेंट और प्रीफैब्रीकेटेड हट्स तैयार कर रही है। इसके साथ ही लगातार इन इलाकों में सेना के लिए हथियार और जरूरी साजो सामान पहुंचाने का भी काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।
भारतीय सेना के हजारों सैनिक मुश्किल हालात में हर उस पहाड़ी और घाटी में मौजूद हैं जहां से चीन घुसपैठ कर सकता है।गलवान की खूनी भिड़ंत के बाद अब भारतीय सेना चीन को कोई मौका नहीं देना चाहती इससे पहले भारतीय सेना दक्षिणी पैंगोंग झील की कई सामरिक चोटियों पर क़ाबिज़ हो चुकी है।
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