दोनों मंत्रियों ने सहमति व्यक्त की कि दोनों पक्षों को भारत-चीन संबंधों को विकसित करने को लेकर नेताओं की आम सहमति की श्रृंखला से मार्गदर्शन लेना चाहिए, जिसमें मतभेदों को विवाद नहीं बनने देने पर सहमति बनी थी। दोनों विदेश मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। इसलिए वे सहमत हुए कि दोनों पक्षों के सीमा सैनिकों को अपना संवाद जारी रखना चाहिए, जल्दी से अग्रिम चौकियों पर तैनाती हटानी चाहिए, उचित दूरी बनाते हुए तनाव कम करना चाहिए।
दोनों मंत्रियों ने सहमति व्यक्त की कि दोनों पक्ष चीन-भारत सीमा मामलों पर सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करेंगे, सीमा क्षेत्रों में शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखेंगे और ऐसी हरकतों से बचेंगे जिससे स्थिति और ज्यादा बिगड़े। दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधि तंत्र के माध्यम से बातचीत और संचार जारी रखने के लिए भी सहमति व्यक्त की। उन्होंने इस संदर्भ में भी सहमति व्यक्त की कि भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए बने कार्य तंत्र (डबल्यूएमसीसी) को भी अपनी बैठकें जारी रखनी चाहिए।
मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि जैसे ही स्थिति ठीक हो, दोनों पक्षों को सीमा क्षेत्रों में शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखने और बढ़ाने के लिए नए कॉन्फिडेंस बिल्डिंग उपायों पर तेजी से काम करते हुए उन्हें अमल में लाना चाहिए। माना जा रहा था कि दोनों नेताओं की इस बैठक का मुख्य उद्देश्य लगातार वार्ता प्रक्रिया को जारी रखना है ताकि सीमा विवाद कोई बड़ा रूप ना ले ले।
इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ त्रिपक्षीय वार्ता भी की थी। इसमें जारी संयुक्त वक्तव्य में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की बात कही गई थी जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और स्थिरता कायम रह सके।
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