सोमवार, 21 सितंबर 2020

'अनुशासन' को समझनेंं का समय आ गया

अश्वनी उपाध्याय 
गाजियाबाद। पत्रकारों के ऊपर अधिक अत्याचार बढ़ेगा तो शासन और बेहतर तरीके से चल सकेगा। पत्रकारों के साथ और अधिक ज्यादती की जायें तो हो सकता है पत्रकार अच्छे से पत्रकारिता करें। पत्रकार समाज के एक धड़े पर अत्याचार किया जा रहा है और एक धड़े को खरीद लिया गया है।  जो तोते की तरह रटी-रटाई बातें बोलते हैं, लिखते हैं और उसका प्रचार करते हैं। ऐसी स्थिति में किसी का तो पतन निश्चित है।
 पत्रकार समाज का एक सम्मानित व्यक्ति और सामाजिक परिस्थितियों का दर्पण होता है। ऐसे व्यक्ति को सभी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, उनके मान-मर्यादा का ध्यान भी रखते हैं। छोटे-बड़े नेता, जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी सभी पत्रकार से वाकिफ होते हैं। स्थानीय पत्रकार समाज की छोटी-छोटी बुराइयों को बड़े स्तर और बड़े मंच तक पहुंचाने का काम करते हैं। यह भी सच है कि कुछ लोग जो अपना चूल्हा जलाने के लिए पत्रकारिता का लिवाज़ तो पहन लेते हैं। लेकिन वह गुलामी के अलावा और कुछ नहीं करते हैं। ऐसे लोगों की वजह से पत्रकारिता के प्रति समर्पित लोगों को कष्ट झेलना पड़ता है।


वर्तमान में एक मामला प्रकाश में आया है। गौरतलबहो, जनपद गाजियाबाद के थाना लोनी स्थित डाबर तालाब चौकी प्रभारी अनुज कुमार के द्वारा स्थानीय पत्रकार प्रमोद मिश्रा के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। गाली-गलौज के साथ-साथ तमाम पत्रकारों को सम्मान देने का घोषणा भी की है। आप लोगों को बता देना चाहते हैं कि जिस चौकी में दरोगा अनुज कुमार प्रभारी नियुक्त है। वह चौकी थाना क्षेत्र अंतर्गत अवैध मादक पदार्थों की बिक्री और व्यापार को बडा़ने में सहायता करती है। बल्कि यूं कहें कि अन्य क्षेत्रों का संचालन डाबर तलाब चौकी से ही किया जाता है। करोड़ों रुपए के अवैध मादक पदार्थ गांजा, चरस, स्मैक, हेरोइन, अफीम आदि के व्यापार की नींव डावर तलाब चौकी ही रखती है। इसके बाद यदि आप क्षेत्र का अपराधिक इतिहास और गतिविधियां जानने का प्रयास करेंगे तो आप दांतों के तले उंगली दबा लेंगे। क्योंकि थाना लोनी क्षेत्र में यदि कहीं सबसे अधिक अपराध, अपराधिक गतिविधियां रोजमर्रा की जिंदगी में व्यवस्थित कर दी गई है तो वह क्षेत्र चौकी डाबर तालाब है।
हालांकि इससे सरकार या प्रशासनिक अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रशासनिक अधिकारी अपना एक लक्ष्य बनाकर, उस लक्ष्य के प्रति बे-रोक टोक, बिना झिझक कार्य कर रहे हैं। यदि उसमें कोई बाधा उत्पन्न करेगा तो निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


इसमें एसएसपी, एसपी, सीओ कोई कुछ नहीं कर सकता। यदि आप लोग अपनी ताकत को समझ सकें और उसका सही दिशा में उपयोग कर सकें, तो शायद ये सब लोग अनुशासन की भाषा को अच्छे से समझ सकेंगे।                


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