ऐतिहासिक समझौता: इजराइल यूएई और बहरीन के बीच कूटनीतिक संबंध शुरू करने का समझौता; ट्रम्प ने कहा- पांच या छह अरब देश और जुड़ेंगे।
इजराइल/यूएई/बहरीन। समझौते के तहत अब तीनों देश एक-दूसरे के देश में दूतावास खोलेंगे। अमेरिका ने इस समझौते में सबसे अहम भूमिका निभाई है। इजराइल ने दो खाड़ी देशों यूएई और बहरीन के साथ ऐतिहासिक समझौता किया है। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मौजूदगी में इस पर दस्तखत किए गए। व्हाइट हाउस में यह कार्यक्रम हुआ। दोनों अरब देशों के साथ अब इजराइल के औपचारिक कूटनीतिक रिश्ते शुरू होंगे। अमेरिका ने इस समझौते में सबसे अहम भूमिका निभाई है। समझौते के बाद ट्रम्प ने कहा- यह एक नई और बेहतरीन शुरुआत है। बहुत जल्द पांच या छह अरब देश भी इसी तरह के समझौते करेंगे। माना जा रहा है कि ट्रम्प का इशारा सऊदी अरब और ओमान की तरफ था।
मिडल-ईस्ट में नई शुरुआत
अरब देशों और इजराइल के संबंध कई दशकों तक बेहद खराब रहे। दोनों पक्ष एक दूसरे को खतरा मानते रहे। कूटनीतिक तौर पर भी दुश्मन देश का दर्जा दिया गया। अब ट्रम्प की कोशिशें रंग लाईं हैं। पिछले महीने इजराइल और यूएई के बीच शांति समझौता हुआ था। अब इसमें बहरीन भी जुड़ गया है। मंगलवार को हुए समझौते का सबसे खास पहलू है, तीनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक मिशन की शुरुआत। आसान भाषा में कहें तो बहरीन और यूएई अब इजराइल के साथ कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत करेंगे।
समझौते के क्या मायने
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगले महीने तक एक फ्रेमवर्क तैयार होगा। इसके साथ ही तीनों देश एम्बेसेडर और बाकी स्टाफ का नाम तय कर लेंगे। फिर यह लिस्ट एक दूसरे को भेजी जाएगी। विदेश मंत्रालय की मंजूरी के बाद कामकाज शुरू होगा। दो चीजों को लेकर अरब देश बेहद उत्साहित हैं। पहला- कारोबार और दूसरा- डिफेंस। अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका में होगा। तीनों देश एक दूसरे के यहां कारोबार कर सकेंगे। इजराइल को बाजार की जरूरत है और मिडिल ईस्ट के इन दो देशों को तकनीक की। यानी सौदा दोनों के लिए फायदे का ही होगा।
ट्रम्प का इशारा
समझौते के बाद ट्रम्प ने एक बड़ा संकेत दिया। डिप्लोमैटिक वर्ल्ड में इसके खास मायने हैं। ट्रम्प ने कहा- इंतजार कीजिए। जल्द ही पांच या छह अरब देश और इजराइल के साथ इस तरह के करार करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका अब सऊदी अरब और ओमान के संपर्क में है। जल्द ही ये दोनों देश भी इजराइल के साथ कूटनीतिक रिश्ते शुरू कर सकते हैं। ऐसे में मुस्लिम देश दो हिस्सों में बंट सकते हैं। तुर्की और पाकिस्तान इस समझौते के खिलाफ हैं।
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