मंगलवार, 8 सितंबर 2020

आईएएस, आईपीएस दोषी, होगी कार्रवाई

उन्नाव रेप केस, सीबीआई ने तत्कालीन डीएम आदित्य सिंह समेत दो आईपीएस, अपर पुलिस अधीक्षक समेत चार को सेंगर मामले में माना दोषी, कार्यवाही की सिफारिश।


बृजेश केसरवानी 


लखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बहुचर्चित माखी रेप कांड की जांच के बाद सीबीआई की टीम ने उन्नाव की तत्कालीन डीएम आदित्य सिंह व उस कांड के समय जिले के पुलिस कप्तान रहे दोनों आईपीएस अधिकारियों की भूमिका की जांच के दौरान पूरे मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के साथ उनकी भूमिका संदिग्ध पाए जाने के बाद जांच में दोषी मानते हुए सचिव को पत्र लिख विभागीय कार्यवाही की सिफारिश की है बता दे इसी केस में मांखी कोतवाली के तत्कालीन एसएचओ मामले में दोषी पाए गए थे जो वर्तमान में जेल में है।
उत्तर प्रदेश बहुचर्चित उन्नाव दुष्कर्म कांड में (बर्खास्त बीजेपी विधायक) कुलदीप सेंगर के दोषी करार दिए जाने के बाद पूरे मामले में सीबीआई ने उन्नाव की तत्कालीन डीएम आदित्य सिंह जो वर्तमान में हापुड़ की जिला अधिकारी है।
दो एसपी जिसमें नेहा पांडे व पुष्पांजलि के साथ अपर पुलिस अधीक्षक रहे अष्टभुजा प्रसाद सिंह को घोर लापरवाही बरतने के आरोप में दोषी माना गया है।
सीबीआई ने अपनी जांच में इन चारों अधिकारियों को पूरे मामले में लापरवाही बरतने का दोषी पाते हुए चारों के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्यवाही की सिफारिश करते हुए यूपी सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है बता दे सीबीआई ने दुष्कर्म के आरोप सिद्ध होने के बाद बांगरमऊ के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जो वर्तमान में जेल में है। के मामले में जांच करते हुए रिपोर्ट में कहा है कि उन्नाव की तत्कालीन डीएम आदित्य सिंह जो वर्तमान में हापुड़ की जिला अधिकारी हैं एसपी नेहा पांडे जो वर्तमान में एसपी रेलवे गोरखपुर पर पुष्पांजलि जो वर्तमान में आईबी की केंद्रीय प्रतिनिधि है। उनके साथ ही अपर पुलिस अधीक्षक रहे अष्टभुजा प्रसाद सिंह जो वर्तमान में पीएससी फतेहपुर में कमांडेंट है को घोर लापरवाही बरतने के मामले में कड़ी कार्यवाही किये जाने की विभागीय सिफारिश करते हुए रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंपी है। बता दे पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव दुष्कर्म केस मामले में कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाते हुए पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में 10 साल की सजा सुनाई है।
बता दे पूरे मामले में घटना के बाद पीड़िता ने तत्कालीन उन्नाव की डीएम 2 आईपीएस अधिकारी के साथ अपर पुलिस अधीक्षक से भी शिकायत की। लेकिन पूरे मामले में मिलीभगत से लीपापोती करते हुए इन अधिकारियों पर बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बचाने के गंभीर आरोप के मामले में सीबीआई जांच के बाद दोषी पाया गया है इस मामले में सीबीआई ने चारों के खिलाफ विभागीय जांच की कड़ी कार्यवाही की सिफारिश की है बताते चलें 24 जनवरी 2016 से 26 अक्टूबर तक आदित्य सिंह उन्नाव की डीएम रही थी वही नेहा पांडे 2 फरवरी 2016 से 26 अक्टूबर 2017 तक उन्नाव की एसपी पुष्पांजलि सिंह 27 अक्टूबर 2017 से 30 अप्रैल 2018 तक उनकी एसपी रही वर्तमान समय में आदित्य सिंह हापुर की जिलाधिकारी है पुष्पांजलि सिंह रेलवे गोरखपुर की एसपी है जबकि नेहा पांडे केंद्रीय प्रतिनिधित्व से आईवी में है उस समय के अपर पुलिस अधीक्षक अष्टभुजा सिंह पीएससी फतेहपुर में कमांडेंट के पद पर तैनात है। इन चारों को सीबीआई ने पूरे मामले में दोषी पाते हुए कड़ी विभागीय कार्यवाही की सिफारिश की है।
क्या है उन्नाव दुष्कर्म कांड का मामला।
पूरा मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे उन्नाव जिले की माखी कोतवाली क्षेत्र का है जहां विधायक कुलदीप सेंगर अपने साथियों के साथ 2017 में एक महिला की मदद से नाबालिग को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया, पीड़िता जिले की कप्तान लेकर एसी तक लगातार चक्कर लगाती रही। लेकिन विधायक के आगे कहीं भी सुनवाई नहीं हुई दूसरी तरफ विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के इशारे पर पीड़िता के पिता व चाचा पर झूठे मामले दर्ज कर प्रताड़ित किया जाने लगा इसके बाद जेल में निर्मम हत्या कर दी गई। पूरे मामले ने जब तूल पकड़ा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामला उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में चलाया गया वहां सुनवाई के बीच सीबीआई ने पूरे मामले में अपनी जांच सौंपी आरोपियों ने पीड़िता को एक्सीडेंट के रूप में खत्म करने की नाकाम कोशिश की, उस एक्सीडेंट में पीड़िता की चाची समेत अन्य रिश्तेदार मारे गए पूरे मामले में पीड़िता को सुरक्षा दे इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में ट्रांसफर किया गया। जिसके बाद तीस हजारी कोर्ट में 20 दिसंबर 2019 को आरोपी कुलदीप सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 2500000 रुपए का जुर्माना लगाया। जिसके बाद यूपी सरकार ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। वही कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर पर पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में 10 साल की सजा सुनाई जबकि उनके भाई अतुल सेंगर को पीड़िता के परिवार को ₹1000000 मुआवजा देने का आदेश दिया।             


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