लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के आकलन के दावों को निपटाने के लिए दो न्यायाधिकरणों का गठन किया है – एक लखनऊ में और दूसरा मेरठ में। सरकार ने इसी साल मार्च के महीने में इससे जुड़े एक अध्यादेश जारी किया था। ये न्यायाधिकरण ऐसे समय में लाए जा रहे हैं, जब कर्नाटक सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार के दंगों में हिंसा करने वाले लोगों से वसूली करने वाले मॉडल की सराहना की और उसे अपने राज्य में लागू करने का मन बनाया। सरकार के एक अधिकारी ने बताया, “लखनऊ में गठित न्यायाधिकरण राज्य के पूर्वी क्षेत्र के लिए होगा और मेरठ में गठित न्यायाधिकरण पश्चिमी इलाके के लिए। मुख्य सचिव न्यायाधिकरण (ट्रिब्युनल) को हेड करने वाले जजों की तलाश करेंगे।”
लखनऊ वाला न्यायाधिकरण झांसी, कानपुर, चित्रकूट, लखनऊ, अयोध्या, देवी पाटन, प्रयागराज, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती और विंध्याचल क्षेत्र के केस हैंडल करेगा, जबकि मेरठ का न्यायाधिकरण अलीगढ़, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और आगरा डिवीजन के केसेज हैंडल करेगा। बता दें कि राज्य सरकार ने सीएए के विरोध के दौरान हुई हिंसा में शामिल सैकड़ों लोगों के ख्रिलाफ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए मुकदमे दायर किए थे, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार ने पिछले साल दिसंबर के महीने में हुई हिंसा के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए 20 जिलों में सैकड़ों लोगों पर मुकदमा दायर किया।अध्यादेश के मुताबिक, सरकार या संपत्ति के मालिक नुकसान की भरपाई के लिए तीन महीने के अंदर दावा ठोक सकते हैं। न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम होगा और इसे किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
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