नई दिल्ली। किसी वजह से वकील ने जजों के कहने के बावजूद कुछ नहीं बोला। यह साफ नहीं है कि उस दौरान कोई तकनीकी खराबी आ गई थी या असावधानी जैसी कोई और वजह रही। लेकिन जजों ने एक के बाद एक तीन बार वकील से बोलने के लिए कहा।
हालांकि, इसके बावजूद जब वकील ने कुछ नहीं कहा, तो जज नाराज हो गए। जस्टिस नरीमन ने इस मामले को गंभीररता से लेते हुए वकील को चालबाजी करने के लिए लताड़ लगाई। इसके बाद वकील ने अचानक से घबराहट में बोलना शुरू किया और जजों के सामने माफी मांगी। वकील ने कहा कि उसका कोर्ट का समय जाया करने जैसा कोई इरादा नहीं था। वकील ने ध्यान भटकने के लिए एक बार फिर कोर्ट से माफी मांगी। इसके बाद जब कोर्ट ने गंभीर मुद्रा में ही आदेश पढ़ना शुरू किया, तो वकी ने फिर माफी मांगी और जजों से अपनी गलती को आदेश में शामिल न करने के लिए कहा। हालांकि, जस्टिस नरीमन ने इस पर कोई ध्यान न देते हुए फैसले में कहा, "सुनवाई के दौरान माइक चालू होने और जजों के लगातार तीन बार बोलने के लिए कहने के बावजूद वकील ने अपना मुंह नहीं खोला। उसने ऐसा जानबूझकर ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह सीनियर एडवोकेट का इंतजार कर रहा था।
बेंच ने कहा, "उसे सीधे कोर्ट को बताना चाहिए था कि वह वरिष्ठ वकील का इंतजार कर रहा है। लेकिन उसने चालबाजी की कोशिश की। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई वकील इस तरह से सुनवाई के तरीकों का मजाक बनाए। हालांकि, इसके बावजूद हमने वकील की बात सुनी है।" इसके बाद जब वकील ने जब जजों से माफी मांगते हुए अपील की कि वे अपने आदेश से उसकी चालबाजी से जुड़ी बात हटा दें, तो बेंच ने कहा कि वे ऐसा नहीं करेंगे। जजों ने डांट लगाते हुए कहा कि अगर वकील चाहता है, तो वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया को लिखकर कार्रवाई के लिए कह सकते हैं। हालांकि, वकील ने इसके बाद दोबारा माफी मांगी और चुप्पी साध ली।
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