गुरुवार, 27 अगस्त 2020

शासन-प्रशासन से नहीं मिल रही है मदद

रायपुर/बिलासपुर। बिलासपुर जिले के तखतपुर से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर स्थित चितावर गांव में अंधाधुंध बारिश और बाढ़ के कारण हुई नुकसानी से ग्रामीण अभी तक उबर नहीं पाए हैं। एक तरफ मनियारी का ठेल तो दूसरी तरफ छोटी नर्मदा के पानी का ठेला-ठेल.. भयंकरतम बारिश के कारण हुई दो-तरफा मार से चितावर गांव के किसानों, उनके घरों और धान की फसल का हाल "दो पाटन के बीच में" सरीखा हो गया है। भयंकर अतिवृष्टि ने इस गांव के किसानों की साढे तीन सौ एकड़ से भी अधिक कृषि भूमि पर लगी धान की फसल को पूरी तरह नष्ट और बर्बाद कर दिया है।


हालत यह है कि इस बर्बाद हो चुकी फसल को किसान ट्रैक्टर के जरिए जुताई कर उखाड़ रहे हैं, जिससे वहां फिर से धान की फसल लगाई जा सके। लेकिन मुश्किल यह है कि किसानों के पास इस समय धान का थरहा (नर्सरी) भी इतनी मात्रा में नहीं है जो सभी किसानों को रोपा के लिए पूरा हो सके। इसलिए कुछ किसान लईहरा (लईचोपी) पद्धति से धान की बोनी करने की जुगत भिड़ा रहे हैं। वहीं कुछ और किसान बाऊग पद्धति से पहले बोए गए खेतों से पौधे उखाड़ कर उन खेतों में रोपित करने की जुगत लगा रहे हैं, जिन खेतों में लगी धान की पूरी फसल को बारिश ने नष्ट कर दिया।             


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