लिमटी खरे
नई दिल्ली। कोरोना कोविड 19 का संक्रमण देश में तेज गति से बढ़ता दिख रहा है। देश में सक्रमित मरीजों की तादाद का आंकड़ा 26 लाखा को पार कर गया है, तो मरने वालों की तादाद 50 हजार से ज्यादा हो चुकी है। सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू यह मना जा सकता है कि नए मिलने वाले संक्रमित मरीजों की तादाद दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। एक दिन में अगर सत्तर हजार मरीज मिलें तो इसे क्या समझा जाए! वर्तमान हालातों को देखकर तो यही लग रहा है कि देश में कोरोना संक्रमितों की लगातार बढ़ती तादाद इस ओर इशारा करती दिख रही है कि इस महामारी के संकट से निपटने के बजाए हम इसमें घिरते जा रहे हैं। अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरा देश नजर आ रहा है जहां हालात बेकाबू ही लग रहे हैं।
सरकार भले ही ठीक होने वाले मरीजों की तादाद बढ़ने का दावा करते हुए अपनी पीठ थपथपा रही हो, पर नए संक्रमित मरीजों के मिलने का आंकड़ा कम होना बहुत जरूरी है। सरकार के द्वारा तीन चरणों में लाकडॉऊन लगाया गया, इसके बाद भी मरीजों की तादाद बेहताशा बढ़ी है, तो इससे साफ है कि सरकार के द्वारा अपनी मंशा को आम जनता को समझाया नहीं जा सका है। स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासनों के पास भी कोई रोड मेप नहीं दिख रहा है। अब संक्रमित मरीजों की तादाद पर अंकुश लगाना जरूरी है। जमीनी स्तर पर किस तरह के हालात हैं, इनकी समीक्षा भी जनता से फीडबैक लेकर किए जाने की जरूरत महसूस हो रही है। प्रशासनिक अधिकारी तो अपनी कालर साफ रखने के लिए मनगढंत आंकड़े और हकीकत पेश कर रहे हों तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
देश में जिस तरह से मरीज मिल रहे हैं, उसे देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि कोरोना कोविड 19 का कम्युनिटी ट्रांसमिशन अर्थात सामुदायिक संक्रमण आरंभ हो चुका है। अनेक जिलों के जिलाधिकारियों के द्वारा इसकी संभावनाएं सार्वजनिक रूप से व्यक्त की जा चुकी है। अनेक जिलों में तो आंकड़ा कम करने के लिए स्वस्थ्य व्यक्तियों की जांच कराए जाने की बातें भी समने आ रही हैं। इस काल में अगर किसी जिले, नगर या कस्बे में मौतों को आंकड़ा बढ़ा हो तो प्रशासन को उस पर नजर रखने की जरूरत है। कई जिलों में तो मोक्षधाम या कब्रस्तान के मार्ग में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए गए हैं।
वैसे इस इस बात पर अभी संशय ही बना हुआ है कि क्या भारत में संक्रमण सामुदायिक प्रसार का रूप अख्तियार कर चुका है। विशेषज्ञों में भी इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पाई है, पर जिस तरह से नए संक्रमित मरीजों की तादाद मिल रही है, वइ इस ओर इशारा कर रही है कि देश में कुछ स्थानों पर इस तरह की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। देश में कोरोना की मार दस राज्यों में ही ज्यादा है, जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। कोरोना संक्रमण के सक्रिय मामलों में अस्सी फीसद के लगभग एवं महामारी से अब तक काल कलवित हुए बयासी फीसद लोग इन्हीं राज्यों के हैं।
देश के हृदय प्रदेश में ट्रू नाट टेस्ट की व्यव्स्था भी की गई है। मध्य प्रदेश के अस्पतालों में इस तरह के मामले प्रकाश में आ रहे हैं, जिनमें ट्रू नाट मशीन के द्वारा जांच के दौरान जो मरीज निगेटिव आता है वही मरीज आरटी पीसीआर जांच में पाजिटिव आ रहे हैं। इसी तरह ट्रू नाट के अनेक पाजिटिव मरीज आरटी पीसीआर या अन्य जांच में निगेटिव आए हैं। सबसे पहले तो जांच के तौर तरीकों को विश्वसनीय बनाया जाने की जरूरत महसूस हो रही है।
कोरोना संक्रमण के लिए अभी तक वेक्सीन नहीं बन पाई है। बचाव ही इकलौता कारगर उपाय समझ में आ रहा है। इस लिहाज से लोगों को शारीरिक दूरी बनाकर रखने और मास्क लगाए जाने की महती जरूरत है। मास्क भी इन दिनों उसी तरह लोगों के द्वारा पहना जा रहा है जिस तरह यातायात पुलिस को देखकर दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगा लेता है और चार पहिया वाहन चालक सीट बेल्ट कस लेता है। आज जरूरत है जागरूकता फैलाने की। लोगों को समझाना होगा कि इसके संक्रमण से किस तरह बचा जा सकता है। वैसे सरकारें इस दिशा में प्रयास तो कर रहीं हैं, पर जिस तरह से मरीजों के मिलने की तादाद बढ़ी है।
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