झाँसी। नगर निगम द्वारा लाखों रुपए से कराई गई नालों की सफाई कठघरे में खड़ी हो गई है। पूर्व महापौर ने नालों की सफाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नगर आयुक्त को पत्र सौंपा है। उन्होंने बारिश से पहले शिकायत किए जाने के बावजूद जाँच न कराने पर भी सवाल उठाए हैं।
गन्दे पानी को समेट कर महानगर से बाहर ले जाने वाले छोटे-बड़े नाले सालभर में कचरे से पट जाते हैं। हालत यह हो जाती है कि ़जरा-सी बारिश होने पर यह नाले उफना जाते हैं और गन्दगी सड़कों पर बहने लगती है। महानगर को जलभराव से बचाने के लिए नगर निगम द्वारा हर साल बारिश से पहले नालों की सफाई कराई जाती है, जिस पर लाखों रुपए ख़्ार्च किए जाते हैं। इस साल भी नगर निगम ने बड़े नालों की सफाई का ठेका दिया, जबकि छोटे नालों की सफाई विभाग द्वारा करायी गई। पूर्व महापौर किरण राजू बुकसेलर ने 15 जुलाई को मण्डलायुक्त को शिकायती पत्र देकर बताया था कि निविदाएं होने के बाद भी ठेकेदारों ने नाला सफाई का कार्य प्रारम्भ नहीं किया। उन्होंने बताया कि क्रिश्चियन अस्पताल से तालपुरा, कोरी समाज की धर्मशाला, ओरछा गेट मार्ग तक के नाले की सफाई का टेण्डर 3 लाख रुपए, शिवाजी नगर से श्याम चौपड़ा तक नाला सफाई का कार्य 1.5 लाख रुपए में टेण्डर दिया गया, लेकिन ठेकेदारों ने का़ग़जों में ही नालों की सफाई दर्शा दी। उन्होंने आरोप लगाया कि महानगर के अन्य नालों में भी ऐसा ही खेल किया गया। शिकायत के बावजूद अधिकारियों ने नालों की सफाई में हुई गड़बड़ी की जाँच नहीं कराई। इससे नारा़ज पूर्व महापौर किरण राजू बुकसेलर ने आज फिर नगर आयुक्त को शिकायती पत्र दिया। उन्होंने बताया कि नालों की सफाई में भ्रष्टाचार किया गया है। बारिश से गन्दगी सड़क पर आ गई है, जबकि अधिकांश नालों की गन्दगी बह गयी है, जिससे सफाई की पुष्टि होना भी कठिन हो गया है। उन्होंने उच्च स्तरीय कमिटि बनाकर नालों की सफाई में हुए घोटाले की जाँच कराने की माँग की है।
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