बुधवार, 12 अगस्त 2020

मस्जिद की जमीन पर बनें दशरथ अस्पताल

मिनाक्षी


नई दिल्ली/अयोध्या। उर्दू अदब के शायर मुनव्वर राना अपने कविता संग्रह 'मां' से दुनिया के बड़े हिस्से में जाने जाते हैं। आजकल वो एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार वो राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने के बाद से सुर्ख‍ियों में हैं। उन्होंने इस बारे में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है, लेकिन न्याय नहीं। उन्होंने बाबरी मस्ज‍िद को मिली जमीन पर दशरथ अस्पताल बनाने की पेशकश को लेकर प्रधानमंत्री को खत भी लिखा है।


इस पूरे मामले में उनकी बेटी सुमैया राना भी खुलकर पिता के साथ आ गई हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने पिता की बात से पूरी तरह सहमत हूं। सुमैया राना ने मिडिया से बातचीत में कहा कि मेरे पिता कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है न्याय नहीं। गोगोई साहब ने अपने फैसले में जो लिखा कि कोई साक्ष्य नहीं मिला है कि वहां मंदिर तोड़कर मस्ज‍िद बनाई गई।


सुमैया ने कहा कि अगर वहां राम मंदिर ही बनाना था तो उसी परिसर में छोटी सी मस्ज‍िद बनने की इजाजत देनी चाहिए थी। लेकिन कोर्ट ने कहा है कि बहुसंख्यक की भावनाओं को देखकर फैसला ले लिया गया। लेकिन न्याय भावनाओं से नहीं साक्ष्य पर आधारित होता है।


सुमैया ने कहा कि जब अयोध्या से बाहर कर देंगे तो वो मस्ज‍िद कहीं भी बने। मेरे पिता सुन्नी वक्फ बोर्ड से भी इस मामले में नाराज हैं। उन्होंने इस बारे में गुजारिश की है कि दी गई जमीन पर मस्ज‍िद के बजाय राजा दशरथ के नाम से एक अस्पताल बनाया जाए जो कि अपने देश के मुसलमानों की ओर से देशवासियों को गिफ्ट दे दिया जाए। क्यों हम वहां उसी जगह मस्ज‍िद बनाएं जब वो राजा दशरथ की जमीन है।            


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