लद्दाख। लिपुलेख एक बार फिर से सुर्खियों में है और इस बार वहां नेपाल नहीं बल्कि चीन केंद्र है। लद्दाख में चीन दावा कर रहा है कि उसने वहां से अपनी सेना हटा ली है लेकिन लिपुलेख में चीन के एक हजार सैनिक तैनात होने की खबर सामने आई है। चीन ने लिपुलेख में एलएसी के पार एक हजार सैनिक तैनात किए हैं।
लिपुलेख एक ऐसी जगह है, जो भारत, नेपाल और चीन की सीमाओं को मिलाता है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि चीन ने एक बटालियन यानि कि एक हजार से ज्यादा जवान लिपुलेख के पास तैनात कर दिए हैं और इसके जवाब में भारत ने भी एक हजार जवान अपनी सीमा पर तैनात कर दिए हैं।
भारत और चीन के बीच पिछले तीन महीनों से लद्दाख की वास्तविक रेखा नियंत्रण पर तनाव चल रहा है। अभी भी वहां पर चीनी सेना के तैनात होने की पुष्टि की जाती है। 15 जून को चीनी सेना की तरफ से हमला किया गया था, ऐसा पिछले 45 सालों में पहली बार हुआ था।
इस हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हो गए और चीन के 40 जवान मारे जाने की खबर थी। उसके बाद कमांडर स्तर पर चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच कई बार वार्तालाप हुई, जिसमें दोनों देशों की ओर से सेना को हटाने की सहमति बनी। चीन ने दावा भी किया कि उसने सीमा से अपने सैनिकों को हटा दिया है लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय और भारतीय सेना ने इस बात का खंडन किया।
लद्दाख के बाद अब चीन लिपुलेख में अपनी सेना तैनात कर रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीएलए के सैनिक लिपुलेख में एलएसी पर तैनात दिखाई दिए हैं। लिपुलेख में भारत ने मानसरोवर जाने के लिए रास्ता बनाया था और नेपाल ने लिपुलेख के भारत की ओर से बनाई गई 80 किमी की सड़क का विरोध किया था। इसके बाद नेपाल ने अपना नया राजनैतिक नक्शा जारी किया, जिसमें कालापानी, लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया और भारत की ओर से इस पर कड़ा विरोध जताया गया था। हालांकि भारत, चीन के साथ-साथ नेपाल की सीमा पर अपनी सेना की तैनाती बढ़ा रहा है।
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