गधे के सिर का सींग 'संपादकीय'
देश के हालात और बदतर हाल को सत्ता पक्ष के लोग अंत समय तक स्वीकार नहीं करेंगे। क्योंकि विपरीत परिस्थितियों का दंश झेलने वाली जनता भारतीय नागरिक है। भारतीयों की अनुवांशिकता के ढेर उदाहरण इतिहास हमें बताता रहता है। हमारे पूर्वज मुगलों और गौरो की सदियों तक दास्तां सहते रहे। परंतु आज स्वराज प्रतिस्थापित हो जाने के बाद भी हम स्वतंत्रता के आनंद से काफी दूर है। जनता के शासन में जनता का शोषण निरंतर जारी है। जनता के धन पर सफेद लिबास पहनकर नेताओं का डांका डाला जाता है। पूरे देश की स्थिति ऐसी बनी हुई है। जिसके विरोध में जनता अभी तक मुखर नहीं हुई है। बल्कि गृह जनपद गाजियाबाद को विशेष परिभाषा से संज्ञातीत किया जा सकता है। यहां अधिकारी और जनप्रतिनिधि 'चोर चोर मौसेरे भाई' चरितार्थ है। जनता का स्पष्ट शोषण किया जा रहा है। मूलभूत सुविधाओं के नाम पर जनता की खाल खींची जा रही है। हालांकि भाजपा की विचारधारा से जुड़े लोगों को घरों में भरे बरसात के पानी को निकालने में ज्यादा सुख प्राप्त हुआ होगा। सही बता रहा हूं कोई इतना सुखी हो जाता है तो मेरा मन कुड़ने लगता है। ईर्ष्या के करण बरसात भी शांत हो गई। आहत घटाएं बरसना भूल गई। राजमार्ग, मुख्य मार्गो के नजारे देख कर दसको साल पहले पिछड़े हुए देहात की याद ताजा हो गई। मोदी के डिजिटल युग से वह समय अच्छा रहा है। झूठ और आडंबर से मुक्त, सच का आवरण था।
ऐसे जनप्रतिनिधियों को जनता के द्वारा पुरस्कृत करने पर विचार करना चाहिए। जो जनता की सुख-सुविधाओं का इतना ध्यान रखते हैं कि छतो पर बैठ कर लोग समय काटने को मजबूर हो गये। मेरी बात थोड़ी कड़वी जरूर है, परंतु इस पर विचार करना। स्थानीय सांसद एवं विधायक को ऐसे गायब कर दो, जैसे गधे के सिर से सींग गायब हो जाते हैं और दोबारा आते ही नहीं हैं।
राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'
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