शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

चीन के साथ कूटनीतिक व आर्थिक तल्खी बढ़ी


बीजिंग/ नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के कारण भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और आर्थिक तल्खी बढ़ गई है। चीन की चालबाजी के कारण भारत ने  चीनी कंपनियों पर शिकंजा कस दिया। उसके जवाब में चीन ने ट्रेड वार छेड़ते हुए भारत में निर्मित ऑप्टिकल फाइबर उत्पादों पर एंटी डंपिंग शुल्क पांच साल के लिए और बढ़ा दिया है।




चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि उसने भारत में निर्मित एकल मोड ऑप्टिकल फाइबर उत्पादों पर एंटी डंपिंग शुल्क बढ़ा दिया है। नया शुल्क 14 अगस्त से अगले पांच साल तक के लिए लागू होगा। नए आदेश के तहत भारतीय कंपनियों के ऑप्टिक फाइबर उत्पादों पर 7.4 से 30.6 फीसदी तक शुल्क वसूला जाएगा।



चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने एंटी डंपिंग शुल्क को समाप्त किए जाने की सूरत में चीन के उद्योगों को संभावित नुकसान के आकलन के बाद यह फैसला लिया है। इससे पहले 13 अगस्त, 2014 को चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने भारत से एकल मोड ऑप्टिक फाइबर के आयात पर पांच साल के लिए एंटी डंपिंग शुल्क लगाने का फैसला किया था। इसकी अवधि अगस्त 2019 में समाप्त हो गई।गौरतलब है कि सिंगल मोड ऑप्टिकल फाइबर के जरिये एक निश्चित वेव लेंथ तक ही सिग्नल भेजा जा सकता है।
भारत ने ब्लैक टोनर व स्टील पर लगाया शुल्क
भारत ने भी इससे पहले चीन, मलेशिया और ताइवान से आयातित ब्लैक टोनर पाउडर पर छह महीने के लिए अस्थायी एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने का एलान किया था। भारत सरकार के सोमवार को जारी आदेश के मुताबिक, मलयेशिया से ब्लैक टोनर के आयात पर 1,686 डॉलर प्रति टन, चीन से आयात पर 834 डॉलर और ताइवान से आयातित ब्लैक टोनर पर प्रति टन 196 डॉलर एंटी-डंपिंग शुल्क देना होगा। भारत ने चीन, कोरिया और ताइवान से आने वाले स्टील उत्पादों पर भी एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया था।           

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