मोदी सरकार बिना संसद चलाए देश कैसे चला रही है? - पूर्व जज जस्टिस एपी शाह
नई दिल्ली। कोविड महामारी के समय हमारी संसद न सिर्फ़ बंद रही बल्कि उसने लोगों का नेतृत्व भी नहीं किया। मनमाने तरीक़े से काम करने की सरकार को अब छूट मिल गई है। उनके ख़िलाफ़ सवाल उठाने का कोई भी संस्थागत तरीक़ा अब नहीं बचा है। ये कहना है पूर्व जज जस्टिस एपी शाह का जिन्होंने रविवार यानी 16 अगस्त से शुरू हुए छह दिवसीय जनता संसद में ये बातें कही।
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देश के कई सामाजिक संगठनों और एकेडमिशियन ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसमें लोग ऑनलाइन हिस्सा ले सकते हैं। कोरोना महामारी की वजह से संसद के बजट सत्र की अवधि कम कर दी गई है। संसदीय समिति दो महीने से काम नहीं कर रही और संसद का मॉनसून सत्र भी जुलाई के मध्य से शुरू होना चाहिए था लेकिन नहीं हो सका है। इस कार्यक्रम के आयोजकों का मानना है कि कोरोना महामारी की वजह से चूंकि संसद नहीं चल रही है इसलिए सरकार से जवाबदेही मांगना कठिन हो गया है। इस मक़सद से ही वर्चुअल जनता संसद का आयोजन किया गया है। जनता संसद के उद्घाटन सत्र में जस्टिस एपी शाह, सामाजिक कार्यकर्ता सैयदा हमीद, सोनी सोरी और गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी ने हिस्सा लिया।
ऑनलाइन क्यों नहीं चल सकती संसद?
जस्टिस एपी शाह ने इस मौक़े पर कहा, "संसद का बजट सत्र जनवरी में हुआ था। उसके बाद कोविड के कारण यह फ़ैसला लिया गया कि संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाएगा लेकिन इस संकट के वक़्त भी कई दूसरे देशों में हमने संसद को काम करते देखा है। कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों की संसद ने अपने काम करने के तरीक़ों में बदलाव करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए सत्र आयोजित किए हैं। कुछ देशों में इंटरनेट के माध्यम से वोट करके यह भी निश्चित किया गया है कि संसद की कार्यवाही चलती रहे।
"फ़्रांस, इटली, और चिली जैसे देशों में संसद की कार्यवाही चलाई गई है। स्पेन जैसा देश जहाँ पर महामारी का असर ज़्यादा है, वहाँ संसद की कार्यवाही जारी है। मालदीव में एक सॉफ़्टवेयर की मदद से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर संसद का काम चल रहा है। वहाँ के स्पीकर ने कहा है कि संसद अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करना कभी ख़त्म नहीं कर सकती फिर चाहे महामारी का वक़्त ही क्यों न हो।
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