शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

50 साल तक विपक्ष में बैठेगीं कांग्रेस

50 साल तक विपक्ष में बैठेगी कांग्रेस अगर अध्यक्ष पद का पार्टी में नहीं हुए चुनाव तो... किसने कहा पढ़ लो


नई दिल्ली। ‘‘अगर चुना हुआ निकाय पार्टी को लीड करता हैए तो पार्टी पहले से बेहतर होगी अन्यथा कांग्रेस अगले 50 सालों तक लगातार विपक्ष में ही बैठी रहेगी।’ यह कहना है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का। कांग्रेस में पार्टी के नेतृत्व और कार्य पद्धति को लेकर कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को असहमित पत्र लिखा था। इस पत्र में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी हस्ताक्षर किए थे। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के चार दिन बाद उन्होंने कहा कि नियुक्त किए गए कांग्रेस अध्यक्ष को पार्टी में एक प्रतिशत भी सपोर्ट नहीं है।
           कांग्रेस में पार्टी के नेतृत्व और कार्य पद्धति को लेकर कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को असहमित पत्र लिखा था। इस पत्र में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी हस्ताक्षर किए थे। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के चार दिन बाद उन्होंने कहा कि नियुक्त किए गए कांग्रेस अध्यक्ष को पार्टी में एक प्रतिशत भी सपोर्ट नहीं है। उन्होंने आगे कहा, गुलाम नबी आजाद ने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जो अधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, वह अपने पद को खोने से डर रहे हैं।गुलाम नबी आजाद ने कहा,"जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं
51 प्रतिशत वोट पाने वाले शख्स को चुना जाएगा।अन्य को 10 या 15 फीसदी वोट मिलेंगे। जो शख्स जीतता है, उसे पार्टी अध्यक्ष का प्रभार सौंपा जाएगा।इसका मतलब है कि 51 प्रतिशत लोग उसके साथ हैं."
          गुलाम नबी ने आगे कहा,"चुनाव का फायदा होता है उस वक्त होता है जब आप चुनाव लड़ते हैं, कम से कम 51 प्रतिशत लोग आपके पीछे होते हैं।लेकिन अभी, जो अध्यक्ष बने है उसके पास एक भी प्रतिशत का सपोर्ट नहीं है। अगर कांग्रेस कार्यसमिति के चुने जाते हैं, तो उन्हें नहीं हटाया जा सकता।तो समस्या कहां पर है." बता दें कांग्रेस के अंदर पार्टी नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों का मुद्दा ठंडा नहीं पड़ रहा है।भले ही इस पर वर्किंग कमिटी की बैठक हो गई और अगले कांग्रेस अध्यक्ष के चयन तक सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बने रहने की घोषणा कर, विवाद सुलझा लिए जाने का दावा किया गया, लेकिन हकीकत इससे अलग है।सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर सवाल उठाने वाले वरिष्ठ नेताओं का खेमा यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि उनका मूल मकसद पार्टी की मजबूती है।           


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