गुरुवार, 9 जुलाई 2020

वायरस से जुड़ा नया मामला, डॉ. हैरान

फारुख कुरेशी


नई दिल्ली। देश में पहली बार कोरोनावायरस का एक नया रूप सामने आया है। देश के सबसे बड़े अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में भर्ती एक मरीज चार बार निगेटिव होने के बाद भी उसके शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ स्वास्थ्य मिला है। यह किसी व्यक्ति के शरीर में तब बन सकता है, जब वह कोरोनावायरस से आशंकित हो। लगभग पाँच से सात दिन के बनने में समय लगता है। यही कारण है कि रोगी के शरीर में संक्रमण के खिलाफ लड़ने का काम करता है।


दिल्ली एम्स के जीरिएटिक विभाग में एक महिला मरीज कई दिन से भर्ती थीं। 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला को डायबिटीज, हाइपर सर्जरी के अलावा 15 दिन से कमजोरी की शिकायत थी। महिला में टी सेल्स की संख्या कम हो रही थी। डॉक्टरों ने संक्रमणपूर्ण होने के कारण 12 दिन में चार बार आरटी-पीसीआर के जरिये कोरोनावायरस की जांच की। लेकिन हैरानी की बात है कि एक भी जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हो सकी। यह सभी जांच दिल्ली एम्स की एकमात्र सुविधाओं से लैस प्रयोगशाला में की गई थीं।


बार-बार रिपोर्ट निगेटिव आने और मरीज में लक्षण एक जैसे ही बरकरार रहने के कारण एक समय तक डॉ भीचेरा चला गया। हालांकि इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को निष्क्रिय मानते हुए ही उपचार किया और पांचवीं बार कैंसर की जांच की गई। इस जांच में मरीज के अंदर कोरोनावायरस की बीमारी पाई गई। हाल ही में यूके के वैज्ञानिकों ने जिस डेक्सामेथासोन दवा को कोविड उपचार में प्रभावी बताया था, उसे भारत में अनुमति मिलने के बाद महिला मरीज को एम्स के डॉक्टरों ने 10 दिन तक दी थी।


एम्स के डॉ। विजय गुर्जर ने बताया कि कोरोनावायरस को लेकर अब तक अलग-अलग थ्योरी सामने आ रहे हैं, लेकिन इसमें एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि अगर किसी मरीज की रिपोर्ट निगेटिव है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह पॉजिटिव नहीं है। उन्होंने बताया कि 25 जून से लेकर सात जुलाई के बीच चार बार एम्स में आरटी-पीसीआर जांच की गई थी। जिसमें हर बार रिपोर्ट निगेटिव पाई गई। आरटी-पीसीआर जांच कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए सबसे बेहतर जांच बताई जा रही है। लेकिन जब मरीज में संक्रमण का पता नहीं लगाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें पॉजिटिव ही मान लिया। इसी तरह की जांच में महिलाओं के मिलने से यह पुष्टि भी हो गई है कि लक्षणों के आधार पर संदिग्ध रोगी कोरोना अतिसंवेदनशीलता था।


डॉ। गुर्जर ने बताया कि वर्तमान में रोगी की सात जुलाई को रिपोर्ट निगेटिव मिलने और हालत पहले से बेहतर होने के साथ-साथ लक्षण न मिलने के कारण डिस्चार्ज कर दिया है। वह पहले से स्वस्थ हैं। ठीक इसी तरह कई लोगों में पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी वह निगेटिव होते हैं। वायरस का कोई असर नहीं होता है।


डॉ। विजय गुर्जर का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का भी राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में निगेटिव सैंपल आया था। अगले दिन वह पॉजिटिव मिले। वहीं दिल्ली पुलिस की शैली बंसल ने भी उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। उनमें कोरोनावायरस के लक्षण थे लेकिन रिपोर्ट निगेटिव था।


ऐसा ही एक मामला रोहतक निवासी जूनियर रेजीडेंट का है जिसका हाल ही में मृत्यु हुई है। उसमें वायरस के लक्षण होने के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन इन लोगों को कोरोना राजकुमार का सम्मान नहीं मिला। जबकि हकीकत यह है कि रिपोर्ट के आधार पर कोरोना के स्वभाव होने या न होने की पुष्टि नहीं की जा सकती है, इसलिए दिशा-निर्देशों में सरकार को बदलाव करना चाहिए और उन्हें सम्मान देना चाहिए।              


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