अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। नगर मजिस्ट्रेट शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता में हुई अभिभावक संघ और स्कूल फ़ैडरेशन की बैठक आशा के अनुरूप बे-नतीजा ही रही। बैठक के दौरान जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि जहां एक ओर स्कूल किसी भी अभिभावक पर फीस जमा करने के लिए दबाव नहीं बनाएंगे, वहीं दूसरी ओर सक्षम अभिभावकों को अपने बच्चों की समय पर फीस जमा करानी चाहिए।
दरअसल अभिभावकों और स्कूलों के बीच लॉकडाउन के समय की फीस को लेकर लगातार बढ़ते हुए गतिरोध को समाप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश द्वारा स्पष्ट कहा कि यदि कोई अभिभावक आर्थिक कारणों से बच्चों की फीस (लॉकडाउन के समय की) देने में असमर्थ है तो वह संबन्धित स्कूल के प्रिंसिपल को पत्र लिखकर आसान किस्तों में फीस देने की प्रार्थना कर सकता है। यदि स्कूल ऐसे अभिभावकों की प्रार्थना का संज्ञान नहीं लेता है तो जिला फीस नियामक समिति स्कूल के खिलाफ कार्यवाही करेगी।
वहीं दूसरी ओर अभिभावक संघ का कहना है कि चाहे अभिभावक सक्षम हो या न हों, हम किसी भी हालत में फीस जमा नहीं कराएंगे। अभिभावक संघ बच्चों की पढ़ाई की चिंता किए बिना ऑनलाइन क्लासों का भी विरोध कर रहा है।
आपको बता दें कि तीन महीने की फीस माफी की मांग को लेकर जिला अभिभावक संघ ने मुख्यालय पर भूख हड़ताल की थी। उस समय जिला विद्यालय निरीक्षक और सिटी मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को एक साथ बैठाकर मामले का हल निकालने का आश्वासन दिया था। इसी क्रम में गुरुवार को एक वार्ता का आयोजन किया गया था। इस बैठक में स्कूल फ़ैडरेशन की ओर से सुभाष जैन, गुलशन भांबरी, जेके गौड़ और ज्योति गुप्ता ने भाग लिया जबकि पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से सीमा त्यागी, जगदीश बिष्ट, संजीव सिंह, एडवोकेट अशोक गहलोत आदि उपस्थित थे।
स्कूल फ़ैडरेशन ने गिनाई अपनी परेशानियाँ
बैठक में स्कूल फ़ैडरेशन के अध्यक्ष सुभाष जैन ने स्कूलों का पक्ष रखते हुए कहा कि हम योगी सरकार द्वारा जारी शासनादेश का पूर्णतः पालन करेंगे। वहीं अभिभावकों से फीस जमा कराने का अनुरोध करते हुए सुभाष जैन ने कहा कि पेरेंट्स को स्कूल का पक्ष भी देखना चाहिए। फीस जमा न कराने के कारण स्कूलों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। हमें अध्यापकों, ड्राइवरों और एडमिन स्टाफ को सैलरी के साथ-साथ बैंक लोन की किस्तें भी चुकनी हैं। इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान स्कूल और गाड़ियों में मेंटीनेंस पर भी लगातार खर्च होता ही रहा है। ऐसे में हम सक्षम अभिभावकों से अनुरोध करते हैं कि वे शासनादेश के अनुसार अपने बच्चों का भविष्य ध्यान में रखते हुए फीस जमा करा दें।
अभिभावक संघ में दिखाई दिए मतभेद
गुरुवार को जिला मुख्यालय पर हुई बैठक में अभिभावक संघ का मतभेद मीडिया के सामने उजागर हो गया। बैठक में आए कुछ अभिभावकों का कहना था कि सभी केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को समय पर सैलरी मिली है। इसी तरह प्राइवेट जॉब करने वाले अधिकतर अभिभावकों को भी सैलरी का बड़ा हिस्सा मिल चुका है। लेकिन अभिभावक संघ के दबाव में आकर ऐसे अभिभावक भी फीस नहीं जमा करा रहे हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ सकती है। यदि आर्थिक संकट के कारण स्कूल अपने शिक्षकों को निकालते हैं तो इसका असर भी हमारे बच्चों के भविष्य पर ही पड़ेगा।
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