इस तरह हो रही रेलवे की बरबादी
इस गोरखधंधे में शामिल हैं मंडल से लेकर रेलवे बोर्ड तक के अधिकारी
कोटा। रेलवे में बरबादी का यह आलम है कि कहीं कोई नियम और नीति का पालन नहीं हो रहा, बल्कि यदि यह कहा जाए कि पिछले कुछ सालों से रेलवे में न कोई नीति है, न ही कोई नियम, और न ही उनका कोई पालन करवाने वाला है। रेलवे बोर्ड से नीति-नियम यानि दिशा-निर्देश तो जरूर जारी किए जाते हैं, परंतु उनका उपयोग अथवा पालन करने के बजाय कहीं न कहीं उन्हें निजी हित साधने से जोड़ लिया जाता है। इसमें कहीं निजी पार्टियों के पक्ष में कभी राजनीतिक दबाव काम करते हैं, तो कहीं खुद कुछ रेल अधिकारियों के अपने निजी हित जुड़े होते हैं। यह सब रेलवे के लिए अतिरिक्त ट्रैफिक लाने और अतिरिक्त रेलवे रेवेन्यू कमाने की आड़ में किया जाता है। इसके लिए रेलवे बोर्ड द्वारा पूर्व निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना भी जरूरी नहीं समझा जाता है। शिकायत होने और पूछे जाने पर बचकाने कुतर्क देकर बरगलाने की कोशिश की जाती है, जिससे कदाचार का सिलसिला लगातार जारी है और इस पर कहीं रत्ती भर भी लगाम नहीं लग पाई है।
इसी क्रम में कोटा मंडल, पश्चिम मध्य रेलवे का एक मामला सामने आया है। कोटा मंडल ने भरतपुर रेलवे स्टेशन पर वन टाइम रेक प्लेसमेंट में क्लिंकर ट्रैफिक हैंडलिंग के लिए एक प्रस्ताव बनाकर पश्चिम मध्य रेलवे मुख्यालय जबलपुर को भेजा। मुख्यालय की अनुमति मिल गई। परंतु तभी भरतपुर स्टेशन पर ओएचई की समस्या बताकर उक्त क्लिंकर अनलोडिंग-लोडिंग को पास की सिमको साइडिंग में शिफ्ट कर दिया गया। जहां वन टाइम रेक प्लेसमेंट के बजाय दो बार में रेक प्लेस करना पड़ रहा है। इस बारे मुख्यालय को कुछ नहीं बताया गया। इसके लिए न सिर्फ पार्टी को समय ज्यादा दिया गया, बल्कि एक इंजन भी जाया हो रहा है। इसके अलावा कोटा मंडल द्वारा रेलवे बोर्ड के 16 अप्रैल 2018 के सर्कुलर (नं. 2015/ईएनएचएम/15/01) में दिए गए प्रावधानों का पालन करते हुए राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरपीसीबी) से प्रदूषण नियंत्रण की पूर्व अनुमति लेना जरूरी नहीं समझा गया।
कोटा मंडल द्वारा उपरोक्त प्रक्रिया मुख्यालय को बिना बताए अथवा बिना विश्वास में लिए ही स्वत: शुरू कर दी गई। यह सब तीन-चार महीनों तक चलता रहा। इसी दरम्यान वहां चित्तौड़गढ़ से आने वाले क्लिंकर की अनलोडिंग-लोडिंग से होने वाले भारी प्रदूषण से स्थानीय लोग परेशान होने लगे। इसके परिणामस्वरूप भरतपुर के एक स्थानीय निवासी तेजप्रताप सिंह ने अपने वकील यशपाल सिंह के माध्यम से डीआरएम/कोटा को एक कानूनी नोटिस भेजकर भरतपुर ओल्ड गुड्स शेड में क्लिंकर की अनलोडिंग-लोडिंग से हो रहे भयंकर प्रदूषण और उससे स्थानीय लोगों को होने वाली अस्थमा जैसी कई बीमारियों एवं परेशानियों का उल्लेख करते हुए प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक और बोर्ड द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अपनाने की मांग की और तब तक के लिए क्लिंकर की अनलोडिंग-लोडिंग प्रक्रिया बंद करने को भी कहा। 28 फरवरी 2020 की यह कानूनी नोटिस डीआरएम/कोटा, प्रिंसिपल सेक्रेटरी/एनवायरमेंट, जयपुर, चेयरमैन/आरपीसीबी, जयपुर, मेंबर सेक्रेटरी/आरपीसीबी, जयपुर, क्षेत्रीय कार्यालय/आरपीसीबी, भरतपुर, सीनियर डीओएम एवं सीनियर डीसीएम/कोटा और पीसीसीएम तथा पीसीओएम, पश्चिम मध्य रेलवे मुख्यालय, जबलपुर को भी भेजी गई थी।उपरोक्त कानूनी नोटिस मिलने के बाद प.म.रे. मुख्यालय के कान खड़े हुए। तब पता चला कि मुख्यालय को अंधेरे में रखकर कोटा मंडल ने क्लिंकर अनलोडिंग को न सिर्फ भरतपुर स्टेशन से शिफ्ट करके सिमको साइडिंग में भेज दिया, बल्कि पार्टी को दो पार्ट में रेक प्लेसमेंट की सुविधा भी दे दी। इस तरह न सिर्फ रेलवे को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि मुख्यालय को दिग्भ्रमित भी किया गया है। इसके साथ ही 9 घंटे की जगह 14 घंटे का समय भी पार्टी को दिया जा रहा है। इसके लिए पार्टी से कोई वारफेज/डेमरेज भी वसूल नहीं किया जा रहा, बल्कि एक अतिरिक्त इंजन भी रेलवे के खाते से पार्टी के लिए रेक लाने-लेजाने के लिए उपलब्ध कराया गया है।
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