मीडिया जगत के लिए एक के बाद एक बुरी खबरें आती जा रही हैं,
नई मीडिया पॉलिसी से छोटे समाचार पत्रों पर एक बड़ा संकट।
नई दिल्ली। एक तरफ जीएसटी के चलते अनेक पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की नौकरियां जाती रही वहीं दूसरी तरफ वर्ष 2020 में कोरोना के चलते कई मीडिया संस्थान बंद हो गए और जो बच गए उन मीडिया संस्थानों ने मीडिया कर्मियों को मिलने वाले वेतन में भारी कटौती कर दी।
इन सब विपदाओं के बावजूद मीडिया संस्थान किसी न किसी तरीके से अपने अस्तित्व को बचाए रखकर समाज के लिए एक चौथे स्तंभ के रूप में कार्य कर रहे थे परंतु भारत सरकार द्वारा 1 अगस्त 2020 से संशोधित प्रिंट मीडिया पॉलिसी 2020 लागू की जा रही है, इस पालिसी में किये गए संशोधन को देखने के उपरांत ये स्पष्ट है कि जो समाचार पत्र जीएसटी के बावजूद अपना वजूद बचा कर रख पाए थे अब उन संस्थानों पर भी ताला लग जाएगा, भारतीय समाचार पत्र और खासतौर से छोटे समाचार पत्र जो समाज का आईना होते हैं, जो गांव, चौपाल, गली, मोहल्ले की खबरों को लिखते हैं, उनकी पीड़ा को, उनके दर्द को अपने अखबार के माध्यम से सरकार की नुमाइंदगी कर रहे अधिकारियों के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं अब ऐसे समाचार पत्र का अस्तित्व ही मिट जाएगा।
डॉ मोहम्मद कामरान
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